उत्तर प्रदेश के बहराइच में आदमखोर भेड़ियों ने ऐसा आतंक मचाया कि लोगों को घरों से बाहर निकलने में डर सताने लगा. दरअसल भेड़ियों के झुंड ने 9 लोगों कि जान ले ली. जिसमें एक महिला के साथ 8 बच्चे भी शामिल है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर भेड़िए बच्चों को अपना शिकार क्यों बनाते है, वाइल्ड एनिमल कहे जाने वाले भेड़िए रात में ही लोगों पर हमला क्यों करते है और ये झुंड में ही क्यों चलते है? ऐसे कई सवाल है जो इस बहराइच की घटना के सामने आने बाद से लोगों के मन में आ रहे हैं.
दिल्ली चिड़ियाघर के रेंज ऑफिसर सौरभ वशिष्ठ बताते है, भेड़िए हमेशा झुंड में चलते है. हालांकि ये काफी वफादार माने जाते है. ये एक बार में 30- 40 के झुंड में 25 किलोमीटर तक चलते है. अगर चिड़ियाघर के भेड़ियों की बात करें तो इनका स्वभाव जंगल में रहने वाले भेड़िए से अलग होता है. अगर ये खुले झुंड में होते है और जहां भी इन्हें अपनी जान का डर सताता है तो ये लोगों पर हमला कर देते है. जहां इन्हें खाना नजर आता है वहां ये बार-बार जाते है. रात में इनके लिए शिकार करना आसान है. खास तौर पर ये बच्चों को शिकार बनाते है क्योंकि बच्चों को उठाना इनके लिए आसान होता है. भेड़िए खूंखार नहीं माने जाते हैं पर ये पेट भरने के लिए अपना शिकार करते हैं.
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भेड़िए छोटे जानवरों का शिकार करते है. हालांकि जो भेड़िए चिड़ियाघर में रहते हैं वहां चिड़ियाघर प्रशासन की तरफ से इनके खाने पीने का ध्यान रखा जाता है. ऐसे में इनका स्वभाव अलग होता है. लेकिन अगर इन्हें एक बार इंसानी मीट या खून का स्वाद मिल जाता है तो ये उन्हें बार-बार खाने की कोशिश करते हैं. शिकार पर हमला करना और एग्रेशन दिखाना भेड़िए की स्वभाव में शामिल होता है. अगर यह जानवर बंद रहता है तो फिर उसकी सभी जरूरतें पूरी होती रहती हैं, लेकिन जब ये खुले में होते हैं तो इनके पैटर्न में अंतर होता है. क्योंकि खुले में प्रमुख भेड़िए को बाकी पर ध्यान होता है.
टाइगर, शेर और भेड़िए के स्वभाव में काफी अंतर होता है. जैसे टाइगर हमेशा अकेला रहता है, लेकिन शेर हमेशा झुंड में चलते है. टाइगर इंसानों से ज्यादा मतलब नहीं रखते है. लेकिन भेड़ियों में ये अलग होता है. उन्हें इंसानों के साथ रहने में दिक्कत नहीं होती है. भेड़ियों को शेर,टाइगर से ज्यादा शांत माना जाता है.
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अब आपके मन में सवाल होगा कि ये जंगली जानवर जब पकड़ में आ जाते है, फिर उनके साथ क्या होता है. दरअसल जो जानवरों की तलाश फॉरेस्ट डिपार्टमेंट की तरफ से की जाती है, और पकड़ में आने के बाद कुछ दिनों इन्हें ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. अगर उन्हें किसी तरह की चोट नहीं लगी और इनकी तबियत ठीक रहती है तो उन्हें वापिस जंगल में छोड़ दिया जाता है. बहराइच से पकड़े गई भेड़िए के साथ भी यही प्रक्रिया अपनाई जाएगी.