रबी सीजन के समापन के साथ ही किसानों ने खरीफ सीजन यानी धान रोपाई की तैयारियां शुरू कर दी है. इसी कड़ी में बीते दिनों कई राज्यों में अक्षया तृतीया के अवसर पर धान रोपाई भी शुरू हो गई हैं. तो वहीं कई राज्यों के किसान धान रोपाई के लिए नक्षत्रों की चाल देख रहे हैं, तो वहीं कई किसान अपनी सुविधा के अनुसार धान राेपाई के लिए दिन निर्धारित करते हुए अपनी-अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं, लेकिन पंजाब-हरियाणा के किसान नक्षत्रों की चाल, अपने मूड के इतर धान रोपाई के लिए सरकारी आदेश का इंतजार यानी सरकारी कार्यक्रम देख रहे हैं.
आखिर ऐसा क्या है कि पंजाब और हरियाणा में धान रोपाई सरकारी आदेश से होती है. आइये इसी कड़ी में जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों, साथ ही जानेंगे की किस कानून के जरिए ये आदेश जारी होते हैं. क्यों ये कानून बनाने की जरूरत पड़ी और आदेश ना मानने वाले किसानों पर राज्य सरकार क्या कार्रवाई करती है.
इस पूरी कहानी में आगे बढ़ने से पहले धान की खेती में मॉनसूनी बारिश की केमेस्ट्री, पंजाब-हरियाणा में मॉनसून की एंट्री की कहानी समझते हैं. असल में धान की खेती में अधिक पानी की जरूरत होती है, जिसमें रोपाई के समय यानी शुरुआत में अधिक पानी की जरूरत होती है. ऐसे में मॉनसूनी बारिश धान राेपाई में पानी की खुराक पूरी करती है. वहीं मॉनसून की हरियाणा-पंजाब की एंट्री की बात करें तो ये दोनों राज्य देश में मॉनसून के अंतिम स्टेशन हैं. मतलब पंजाब-हरियाणा में मॉनसून जुलाई के पहले सप्ताह में पहुंचता है, इस वजह से इन दोनों ही राज्यों में धान की खेती वर्षा जल आधारित होने के बजाय भूजल आधारित रही है.
मॉनसून एक्सप्रेस का हरियाणा-पंजाब अंतिम स्टेशन है. मतलब इन दाेनों ही राज्यों में जुलाई में मॉनसून पहुंचता है. वहीं इन दोनों ही राज्यों में धान की खेती पर सरकारी कंट्रोल है, जिसके तहत दोनों ही राज्य सरकारें धान की खेती के लिए प्रत्येक वर्ष नोटिफिकेशन जारी करती हैं और धान की खेती का कार्यक्रम जारी किया जाता है. इस वर्ष के लिए पंंजाब सरकार की तरफ से धान की खेती का कार्यक्रम जारी किया गया है, जिसके तहत पंंजाब में दो चरणों में धान की राेपाई शुरू होगी.
इसके लिए पंजाब सरकार ने अपने राज्य के जिलों को दो ग्रुपों में बांटा है. जारी कार्यक्रम के तहत कुछ जिलों के किसान 11 जून तो कुछ जिलों के किसान 15 जून से धान राेपाई कर सकते हैं. वहीं धान की सीधी बिजाई किसान 15 मई से शुरू कर सकते हैं. इसी तरह अभी हरियाणा सरकार की तरफ से धान रोपाई का कार्यक्रम जारी नहीं किया गया है. ये दोनों ही राज्य सरकारें एक कानून के जरिए धान रोपाई को कंट्रोल करते हैं, इसके लिए पंजाब ने विधानसभा में पंजाब उप मृदा जल संरक्षण अधिनियम, 2009 और हरियाणा सरकार ने हरियाणा प्रिजर्वेशन ऑफ़ सब सोयल वाटर एक्ट, 2009 का पारित किया हुआ है.
पंजाब और हरियाणा में धान की राेपाई सरकारी आदेश से होती है. मतलब धान की खेती शुरू करने के लिए सरकारी आदेश जारी होता है. इस आदेश में जारी तारीख से पहले दोनाें ही राज्यों में धान राेपाई करना दंडनीय होता है. मतलब आदेश में जारी तारीख से पहले धान रोपाई शुरू करने वाले किसानों की फसल बर्बाद करने समेत जुर्माने का प्रावधान है. हरियाणा सरकार 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाती है.
पंजाब-हरियाणा में कानून यानी एक्ट के जरिए धान रोपाई पर सरकारी नियंत्रण है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर क्यों इन दोनाें राज्याें को ये कानून बनाने पड़े. असल में इन कानून की कहानी का छोर पानी से शुरू होता है. जैसा की सर्वविदित है कि धान की खेती के लिए अधिक पानी की जरूरत पड़ती है और पंजाब-हरियाणा में मॉनसून की बारिश सबसे देरी में पहुंचती है. ये ट्रेंड किसानों के लिए परेशानी का कारण रहा है. इस वजह से पंजाब-हरियाणा के किसान बीते दशकाें में मई महीने में धान रोपाई शुरू करने के लिए भू जल का प्रयोग करते थे.
पंजाब में धान सीजन में 15 लाख ट्यूबवेल चलने का आंकड़ा सर्वविदित है. इस वजह से साल 2000 के पास भूजल स्तर पर रिकॉर्ड गिरावट की जानकारी का पता चला. मतलब पंजाब और हरियाणा के कई जिले भूजल स्तर में गिरावट की वजह से डार्क जोन घोषित किए गए. इन हालातों पर नियंत्रण के लिए दोनों ही सरकारें कानून लेकर आई, जो समय से पहले धान रोपाई को नियंंत्रित करते हैं.