Wheat Export: नई सरकार में हटेगा गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन! कितनी संभावनाएं, किसानों के लिए क्‍या मैसेज?

Wheat Export: नई सरकार में हटेगा गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन! कितनी संभावनाएं, किसानों के लिए क्‍या मैसेज?

देश में मांग के अनुरूप गेहूं की कमी के हालात बने हुए हैं, जिसमें, जिन किसानों ने गेहूं स्‍टॉक किया हुआ है. उन्‍हें बेहतर दाम मिलने की उम्‍मीद है

 नई सरकार के लिए गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटाना कितना चुनौतिपूर्ण नई सरकार के लिए गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटाना कितना चुनौतिपूर्ण
मनोज भट्ट
  • Noida ,
  • May 20, 2024,
  • Updated May 20, 2024, 7:56 PM IST

लोकसभा चुनाव अपने पीक पर है. सात में से पांच चरणों की मतदान प्रक्रिया पूरी हो गई है. इसके साथ ही कई उम्‍मीदवारों का राजनीतिक भाग्‍य भी EVM में कैद हो गया है, जिस पर 4 जून को फैसला होना है. सात चरणाें की मतदान प्रक्रिया पूरी होने के बाद 4 जून को मतगणना होगी. इसके परिणाम जारी हाेने के साथ ही नई सरकार के गठन की तैयारियां और औपचारिकताएं शुरू हो जाएंगी. नई सरकार से किसानों को भी बेहद उम्‍मीद है तो वहीं नई सरकार के एजेंडे में संभावित तौर पर कृषि से जुड़े कई मुद्दे हैं, जिसमें गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन पर फैसला बहुप्रतिक्षित है.

ऐसे में, अभी से ये चर्चाएं होने लगी हैं कि क्‍या नई सरकार में गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटेगा. इसी कड़ी में समझने की कोशिश करते हैं कि नई सरकार के गठन के बाद गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटने की कितनी संभावनाएं हैं, इसको लेकर देश में कैसे हालात हैं. साथ ही समझने की कोशिश करते हैं कि किसानों के लिए क्‍या मैसेज है. 

कब लगा गेहूं एक्‍सपोर्ट पर बैन

भारत गेहूं उत्‍पादन में ग्‍लोबली शीर्ष देशों की सूची में शुमार है.वहीं भारत दुनिया में गेहूं का बड़ा एक्‍सपोर्टर भी है. कोरोना काल में हुआ गेहूं एक्‍सपोर्ट को इसका पीक कहा जा सकता है. असल में कोरोना के बाद साल 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद जब दुनिया की गेहूं सप्‍लाई प्रभावित हुई थी, तब दुनिया के देशों की गेहूं जरूरतों को भारत ने पूरा किया था और भारत ग्‍लोबली नया गेहूं एक्‍पोर्टर प्‍लेयर बन कर उभरा था, लेकिन मार्च-अप्रैल 2022 में गर्मी की वजह से गेहूं की फसल खराब हुई, जिसके बाद 13 मई 2022 को भारत सरकार ने गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन करने की अधिसूचना जारी की थी. यानी 13 मई 2022 को गेहूं एक्‍सपोर्ट पर बैन लगाया गया था, जो आज भी जारी है. 

इन 2 कारणों से गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटना मुश्‍किल

गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन की कहानी के बाद नई सरकार में एक्‍सपोर्ट बैन हटने की संंभावनाओं पर चर्चा करते हैं. असल में किसानों को उम्‍मीद है कि गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटने के बाद उन्‍हें बाजार में बेहतर दाम मिलेगा, लेकिन अगर मौजूदा हालातों को देखें तो नई सरकार के लिए गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटाना चुनौतीपूर्ण फैसला साबित होने जा रहा है. आइए समझते हैं कि वह कौन से 2 कारण हैं, जो गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन को जारी रखने की तरफ इशारा कर रहे हैं.

लगातार तीसरी बार गेहूं खरीद का टारगेट अधूरा

देश में गेहूं की सरकारी खरीद का हाल गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन हटाने में बड़ी बाधा नजर आ रहा है. असल में इस साल 372 मीट्रिक लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्‍य रखा गया है, जिसके तहत अभी तक 260 मीट्रिक लाख टन गेहूं की खरीद हुई है. माना जा रहा है कि इस साल अधिक से अधिक 300 मीट्रिक लाख टन की ही सरकारी खरीद हो पाएगी. अगर ऐसा होता है ये लगातार तीसरी बार होगा, जब गेहूं खरीद का टारगेट अधूरा रह जाएगा. साल 2023-24 में 341 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्‍य रखा गया था, लेकिन सिर्फ 261 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो सकी,जबकि इससे पहले 2022-23 में गेहूं खरीद का लक्ष्‍य 195 लाख मीट्रिक टन किया गया था, इसके अनुरूप सिर्फ 187 लाख मीट्रिक टन की गेहूं खरीद हुई थी. इसी तरह इस साल भी गेहूं खरीद का टारगेट पूरा करना चुनौतिपूर्ण बना हुआ है. 

उत्‍पादन और स्‍टॉक का उलझा गणित

गेहूं एक्‍सपोर्ट से बैन हटने के पीछे दूसरी और सबसे बड़ी बाधा उत्‍पादन और गेहूं स्‍टॉक का उलझा हुआ गणित है. असल में कई एजेंसियां इस साल रिकॉर्ड गेहूं उत्‍पादन का दावा कर चुकी है, जिसके तहत 114 मिलियन टन गेहूं उत्‍पादन का अनुमान लगाया जा चुका है, लेकिन दावों के इतर जमीन पर हालात लग रहे हैं.

बेशक पंंजाब और हरियाणा में गेहूं उत्‍पादन ठीक हुआ है, लेकिन मध्‍य प्रदेश समेत कुछ राज्‍यों से गेहूं उत्‍पादन में गिरावट की जानकारी सामने आ रही हैं. माना जा रहा है कि इस साल भी गेहूं उत्‍पादन पिछले साल की तरह ही 111 मिलियन टन के पास ही रहेगा.

इस तरह गेहूं उत्‍पादन में गिरावट की आशंका लगाई जा रही है तो वहीं दूसरी बार भारत का गेहूं स्‍टाॅक भी गड़बड़ाया हुआ है. भारत के गेहूं स्‍टॉक की बात करें तो 1 अप्रैल 2024 को गेहूं का स्‍टॉक 75.02 लाख टन दर्ज किया गया था, जो बफर स्‍टॉक के लिए निर्धारित 74.6 लाख टन से थोड़ा सा अधिक था.

गेहूं के इस स्‍टॉक के साथ इस साल खरीदे गए गेहूं को जोड़ा जाए तो भारत के गेहूं भंडार के हालातों को ठीक से समझा जा सकता है. आलम ये है कि इस खाली अन्‍न भंडार की स्‍थिति में 80 करोड़ लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्‍चित करते हुए उन्‍हें फ्री अनाज का वितरण भी करना है. साथ ही आपतकालीन स्‍थिति के लिए गेहूं का भंडार बनाए रखना है. इन हालातों में देश के अंदर गेहूं की कमी की संभावनाएं दिखाई पड़ती है, जाे गेहूं एक्‍सपोर्ट बैन को जारी रखने की तरफ इशारा करती हैं.
 

गेहूं के क्‍या होंगे दाम 

गेहूं की ये कहानी ही किसानों के लिए बड़ा मैसेज है. देश में मांग के अनुरूप गेहूं की कमी के हालात बने हुए हैं, जिसमें, जिन किसानों ने गेहूं स्‍टॉक किया हुआ है. उन्‍हें बेहतर दाम मिलने की उम्‍मीद है. माना जा रहा है कि गेहूं की सरकारी खरीद बंद होने के बाद गेहूं के दाम 3000 रुपये क्‍विंटल पार हो सकते हैं. वहीं ये भी अंदेशा लगाया जा रहा है कि देश के गेहूं भंडार की दशा सुधारने और दाम नियंत्रण के लिए नई सरकार गेहूं इंपोर्ट भी कर सकती है. 

 

 

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