गांव में आज भी खेती-बाड़ी में कहावतों का बहुत योगदान है. कहावतें बहुत आसान तरीके से कई बड़ी जानकारियां दे जाती हैं. आपने मशहूर कवी घाघ का नाम सुना होगा. वे ग्रामीण कहावतों के लिए प्रसिद्ध थे. उनकी कहावतें खेती-बाड़ी के लिए किसी किताब से कम नहीं मानी जातीं. यहां तक कि अलग-अलग मौसम के बारे में भी वे अक्सर सटीक जानकारी दे दिया करते थे. वह भी कहावतों के माध्यम से. तो आइए हम आपको धान से जुड़ी 10 कहावतों के बारे में बताते हैं जिनसे आप धान की खेती की पूरी जानकारी पा सकेंगे.
1. पूर्वा रोपे, बुरा किसान. आधा खारी, आाधा धान
पूर्वा में जिन रोपा भैया, एक धाव में सोलह पैया
अर्थ: थान की रोपनी पूर्वा नक्षत्र में करने से उपज अच्छी नहीं होती है.
2. पुष्य, पुनर्वसु बोवै थान, श्लेषा मद्या कादो परमान
अर्थ: पुष्य (आठवां) नक्षत्र और पुनर्वसु (सातवां) नक्षत्र में धान का बीज बो देना चाहिए और अश्लेषा (नवां) और मघा (दसवां) नक्षत्र में धान के बिचड़ों को खेत में रोप देना चाहिए.
3. आधे चित्र फुटिहें धान, विधि का लिखा न होवे आन
अर्थ: यदि समय पर धान की रोपाई की जाए तो मध्य चित्रा नक्षत्र में धान फूटने लगता है. सत्ताईस नक्षत्रों में से चित्रा चौदहवां नक्षत्र है और स्वाति के पहले आता है.
4. साठी होवें साठे दिन, जब पानी पड़े रात दिन
अर्थ: यदि वर्षा ठीक से होती रहे तो साठी धान की फसल साठ दिनों में तैयार हो जाती है.
5. अद्रा धान पुनर्वसु पैया, रोवे किसान जो बोवे चिरैया
अर्थ: आर्द्रा (छठा) नक्षत्र में धान बोने से उपज अच्छी हाती है. पुनर्वसु (सातवां) नक्षत्र में बोने से पत्ता बिना धान से चावल का धान अधिक होता है और अन्न कम, लेकिन चिरैया अर्थात् पुष्य (आठवां) नक्षत्र में थान बोने से घर में अंधकार ही रहता है. मतलब पैदावार बहुत ही कम होती है जिससे किसान को रोना पड़ता है, आर्द्रा नक्षत्र प्रायः 21 जून से पुनर्वसु 6 जुलाई से, और पुष्य 19 जुलाई से शुरू होता है.
6. बुध बृहस्पति को जले, शुक्र न अले बखान
रवि-मंगल बौनी करे, द्वार न आये धान
अर्थ: धान बोने के लिए बुध और बृहस्पति दो अच्छे दिन हैं. शुक्रवार अच्छा नहीं है. यदि रविवार और मंगलवार को बोवें तो घर में अन्न का दाना भी नहीं आएगा.
7. रोहनी खाद, झुमसिर छउनी, अदा आड, धान की बोअनी
अर्थ: खाट बीनने या छप्पर छाने आदि का काम मृगशिरा (पांचवां) नक्षत्र तक कर लेना चाहिए, क्योंकि आद्रा नक्षत्र में धान की बुवाई शुरू हो जाती है और उस समय अन्य किसी काम में हाथ नहीं डालना चाहिए.
8. पहले कांकरी पीछे धान, उसको कहिए पूर किसान
अर्थ: जो पहले ककड़ी बोकर धान बोता है वह अच्छा किसान है.
9. कलहड़ नवई बोओ याए, तब चिउस की होय बहार
अर्थ: कुदाल से कोड़ी या खनी हुई भूमि में धान बोने से चिउड़ा (चूड़ा) खाने की बहार आती है.
10. वायु चलेगी बखिना, मांड कहां से चरखना
अर्थ: जब दखिनी हवा चलेगी तब मांड़ चखने को नहीं मिलेगा और धान की पैदावार कम होगी.(साभार, बीएयू सबौर, बिहार)