Gonda News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से करीब 116 किलोमीटर दूर गोंडा जिले के रहने वाले राजेश मिश्रा गांवों में घूम-घूमकर ग्रामीण बच्चों को विज्ञान के प्रति जागरूक करते हैं. गोंडा के एक निजी स्कूल में टीचर राजेश बिना किसी की मदद से खुद के ख़र्च पर दूर-दूर के गांव में जाकर बच्चों और बड़ों को जागरूक करने का काम कर रहे हैं. अब तक राजेश गोंडा के साथ ही आसपास के जिलों जैसे बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच के लगभग 1000 गांव में बाइक से जा चुके हैं. देखते ही देखते राजेश की पहचान कई गांवों में हो गई. बच्चे से लेकर बड़े तक हर कोई इनका मुरीद हो गया.
इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में राजेश ने बताया कि गांव में अक्सर कोई न कोई जादू और चमत्कार के नाम लोगों को ठगने आ जाते हैं. एक दिन जब मैं गांव में गया तो लोगों को छन्नी में पानी रोककर दिखाया तो लोगों ने बताया कि 20 दिन पहले कोई यहां पर आया था और इसे जादू बताकर लोगों से पैसे लेकर गया था. फिर मैंने समझाया ये कोई शक्ति नहीं ये आप भी कर सकते हैं और उनसे भी करवाया; अब तो कम से कम उस गांव के लोग किसी के चगुंल में नहीं आएंगे, एक बार अंधविश्वास दूर हो गया फिर कोई बेवकूफ़ नहीं बना सकता हैं. राजेश ने आगे बताया कि साल 2011 में रे ऑफ साइंस क्लब की शुरुआत की थी, साथ ही लैब ऑन बाइक और मोबाइल विज्ञान पुस्तकालय भी चलाते हैं.
33 वर्षीय विज्ञान संचारक राजेश मिश्रा ने बताया कि वंचितों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़कर वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा समाज से अंधविश्वास दूर करने और बच्चों मे विज्ञान के प्रति जागरूकता लाने के काम मे लगे हैं. उन्होंने बताया कि दुनिया में कुछ भी चमत्कार नहीं होता है और अगर कुछ चमत्कार जैसा हुआ है, तो वह सिर्फ़ तब तक है जब तक हम उसके पीछे का विज्ञान नहीं जानते.
राजेश बताते हैं कि आज भी ज्यादातर जगहों पर सांप काटने पर ओझा, भूत आने पर तांत्रिक और ग्रहण को दैवीय आपदा माना जाता है. गांवों और ग्रामीण बच्चों को भी जरूरत है आधुनिक विज्ञान संचार की. लेकिन विज्ञान संचार करना कहां आसान था, लोग यही कहते कि कोशिश बहुत अच्छी है लेकिन कोई फायदा नहीं.
साइंस ऑन बाइक
स्वयं के पैसो से एक बाइक लेकर उसको लैब ऑन बाइक में बदल दिया, एक ऐसा नवाचार जिसने ग्रामीण क्षेत्र में विज्ञान संचार मे क्रांति ला दी. मोटर साइकिल पर विज्ञान गतिविधियों का सामान लेकर सड़कों से होते हुए गांव की गलियों, स्कूलों तक विज्ञान का ज्ञान फैलने लगा. लैब आन बाइक की विशेषता यह है कि यह कम खर्च में ,छोटे से छोटे रास्तों पर और कम रख रखाव मे भी दूर तक विज्ञान संचार करने में समर्थ है. साइंस ऑन बाइक द्वारा विभिन्न विज्ञान गतिविधियां की जाती है.
कैसे चलता है रे आफ साइंस
'रे आफ साइंस' कोई एनजीओ नहीं है. रे आफ साइंस के विज्ञान जागरूकता कार्यक्रम का पूरा खर्च राजेश मिश्रा स्वयं करते हैं. ज्यादातर विज्ञान उपकरण राजेश द्वारा स्वयं बनाये गये है. जिसकी सहायता से वो बच्चों और ग्रामीणों मे विज्ञान जागरूकता का ज्ञान फैलाने का कार्य करते है.
प्रशासन की कोई मदद नहीं
विज्ञान जागरूकता कार्य में प्रशासन कोई मदद नहीं करता. राजेश के अनुसार अगर प्रशासन कुछ मदद करता तो विज्ञान जागरूकता का कार्य और बड़े पैमाने पर हो सकता है, जिससे अधिक से अधिक ग्रामीणों और बच्चों तक विज्ञान का ज्ञान पहुंच पाता और वो अंधविश्वास के जाल से बाहर निकल पाते.