अब टमाटर से वाइन और बायो पेस्टिसाइड बनाने की तैयारी, किसानों और कंज्यूमर दोनों को होगा फायदा

अब टमाटर से वाइन और बायो पेस्टिसाइड बनाने की तैयारी, किसानों और कंज्यूमर दोनों को होगा फायदा

उपभोक्ता मामले विभाग ने शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल के सहयोग से टमाटर सप्लाई चेन के विभिन्न स्तरों पर होने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए जून 2023 में टमाटर ग्रैंड चैलेंज (TGC) नामक हैकाथॉन शुरू किया था. इसमें देश भर से 1,376 आइडिया आए थे.

टमाटर से वाइन बनाने की तैयारीटमाटर से वाइन बनाने की तैयारी
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Nov 22, 2024,
  • Updated Nov 22, 2024, 6:42 PM IST

टमाटर एक ऐसी फसल है जिसका दाम साल भर में तीन-चार बार इतना बढ़ जाता है कि उपभोक्ता परेशान हो जाते हैं और कई बार इतना घट जाता है कि किसानों को लागत भी नहीं मिलती. इस हालात से किसानों और कंज्यूमर दोनों को बाहर निकालने की कोशिश में सरकार जुट गई है. ऐसे में जहां एक तरफ बाजार में अच्छी उपलब्धता के लिए ट्रांसपोर्टेशन के दौरान इसकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने की कोशिश हो रही है. वहीं जब सप्लाई अधिक हो तब इसका दूसरे रूप में इस्तेमाल करने का प्लान बन रहा है. इसी के तहत अब टमाटर का इस्तेमाल वाइन और बायो पेस्टिसाइड बनाने के काम में भी लाया जाएगा.

कभी ज्यादा बारिश या अचानक गर्मी आदि जैसी प्रतिकूल मौसमी स्थितियों के कारण उत्पादन और उपलब्धता प्रभावित होती है, जिसके बाद कीमतों में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है. ये चुनौतियां एक तरफ सीधे किसानों की आय को प्रभावित करती हैं तो दूसरी ओर सप्लाई चेन को भी बाधित करती हैं, जिससे दाम बढ़ जाते हैं. इस समस्या का समाधान खोजने के लिए उपभोक्ता मामले मंत्रालय के पास 28 आइडिया आए हैं, जिनको धरातल पर उतारने की कोशिश होगी.

टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक

दरअसल, उपभोक्ता मामले विभाग ने शिक्षा मंत्रालय के इनोवेशन सेल के सहयोग से टमाटर सप्लाई चेन के विभिन्न स्तरों पर होने वाली समस्याओं का समाधान करने के लिए जून 2023 में टमाटर ग्रैंड चैलेंज (TGC) नामक हैकाथॉन शुरू किया था. इसमें देश भर से 1,376 आइडिया आए थे. कई दौर के मूल्यांकन के बाद इनमें से 28 को फंडिंग की गई. उपभोक्ता मामले विभाग की सचिव निधि खरे ने कहा कि भारत, वैश्विक स्तर पर टमाटर का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जो सालाना 20 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन करता है. इसके बावजूद इसकी कीमतों में बहुत उतार-चढ़ाव होता है. इसका समाधान खोजने के लिए टमाटर ग्रैंड चैलेंज (TGC) शुरू किया गया था.

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टमाटर ग्रैंड चैलेंज का मकसद क्या है?

ग्रैंड चैलेंज का मकसद टमाटर के उत्पादन, प्रोसेसिंग और वितरण में प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत के युवा इनोवेटर्स और शोधकर्ताओं की प्रतिभा का उपयोग करना है.

चुनौतियां क्या हैं?

उत्पादन-पूर्व: जलवायु-अनुकूल बीजों तक सीमित पहुंच और खराब कृषि पद्धतियां.

कटाई के बाद नुकसान: कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की कमी और अनुचित हैंडलिंग के कारण खराब होना.

प्रोसेसिंग और वैल्यू एडिशन: जरूरत से ज्यादा टमाटर के प्रोसेसिंग के लिए अपर्याप्त बुनियादी ढांचा.

सप्लाई चेन: खंडित सप्लाई चेन और बिचौलियों का प्रभुत्व अक्षमता और मूल्य अस्थिरता का कारण बनता है.

बाजार पहुंच और मांग पूर्वानुमान: असंगत पहुंच और मांग के पूर्वानुमान उपकरणों की कमी के कारण कीमतों में गिरावट और बर्बादी होती है.

पैकेजिंग और परिवहन: शेल्फ लाइफ को बेहतर बनाने और नुकसान को कम करने के लिए लागत प्रभावी समाधानों की आवश्यकता.

समाधान की कोशिश

टमाटर ग्रैंड चैलेंज का क्या फायदा हुआ है. दरअसल, पर्याप्त सप्लाई बनाए रखने और टमाटर से दूसरी चीजें बनाने के लिए कई इनोवेशन हुए हैं. इसके तहत 14 पेटेंट और 4 डिज़ाइन रजिस्ट्रेशन हुए हैं. शेल्फ लाइफ बढ़ाने और कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने के लिए पैकेजिंग और परिवहन समाधानों का विकास किया गया है. उपयोगिता बढ़ाने, बर्बादी को कम करने और साल भर उपलब्धता सुनिश्चित करने वाले टमाटर के प्रोसेस्ड उत्पादों का निर्माण हुआ है. 

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