Crop Insurance: अब नहीं चलेगा बीमा कंपनियों का एकाधिकार, PMFBY में शामिल हुईं कई और कंपनियां

Crop Insurance: अब नहीं चलेगा बीमा कंपनियों का एकाधिकार, PMFBY में शामिल हुईं कई और कंपनियां

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, टाटा एआईजी, चोलामंडलम और ओरिएंटल इंश्योरेंस खरीफ 2023 में फसलों का करेंगी बीमा. साल 2019-20 में (खरीफ और रबी दोनों मौसमों में), इन निजी बीमा कंपनियों ने उन राज्यों में उच्च दावा अनुपात के कारण पीएम फसल बीमा योजना योजना से बाहर होने का फैसला किया था, जहां उन्हें नुकसान हुआ था.

PMFBY में शामिल हुईं कई और कंपनियांPMFBY में शामिल हुईं कई और कंपनियां
व‍िवेक कुमार राय
  • Noida ,
  • Jun 13, 2023,
  • Updated Jun 13, 2023, 3:26 PM IST

भारत में लगभग 60 प्रतिशत आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. वहीं, इनमें से ज्यादातर किसान वर्षा आधारित कृषि पर निर्भर हैं. ऐसे में कई बार अचानक होने वाली भारी बारिश, सूखा, तूफान या किसी अन्य तरह की प्राकृतिक आपदा की वजह से फसलों के खराब होने का खतरा बना रहता है. किसानों की इन्हीं समस्याओं के मद्देनजर प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई है, जो फसल खराब होने की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है. इसके लिए किसानों को प्रीमियम भी देना पड़ता है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में बीमाकर्ता कंपनियों की संख्या में कुछ कमी आ गई थी. वही अब यह संख्या बढ़ सकती है.

दरअसल, बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि इस साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत आईसीआईसीआई लोम्बार्ड, टाटा एआईजी, चोलामंडलम और ओरिएंटल इंश्योरेंस जैसी बीमा कंपनियां भी फसलों का बीमा करने के लिए आगे आई हैं. इन चारों बीमा कंपनियों ने चार साल पहले अव्यवहार्य दावा राशि (inevitable claim amount) का हवाला देते हुए फसल बीमा का बिजनेस छोड़ दिया था. लेकिन अब इन कंपनियों ने वापसी का विकल्प चुना है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में पीएमएफबीवाई में कई कदम उठाए गए हैं. इनमें टेक्नोलॉजी को शामिल करना और फसल बीमा जोखिम को कम करना आदि शामिल है. इसके अलावा, एक नई कंपनी क्षेमा जनरल इंश्योरेंस को भी PMFBY में शामिल किया गया है.

उच्च दावा अनुपात के कारण बाहर होने का किया था फैसला

मालूम हो कि साल 2019-20 में (खरीफ और रबी दोनों मौसमों में), इन निजी बीमा कंपनियों ने उन राज्यों में उच्च दावा अनुपात के कारण पीएम फसल बीमा योजना योजना से बाहर होने का फैसला किया था, जहां उन्हें नुकसान हुआ था. हालांकि, ये कंपनियां पिछले चार वर्षों में पैनल में बनी हुई हैं. वहीं श्रीराम जनरल इंश्योरेंस, एक अन्य निजी बीमा कंपनी, जो 2019-20 से फसल बीमा सेगमेंट से हट गई थी और रॉयल सुंदरम, जो 2020 से बोलियों में भाग नहीं ले रही है. इन दोनों कंपनियों ने इस साल भी रुचि नहीं दिखाई है.

इसे भी पढ़ें- PMFBY: फसल बीमा से जुड़े हर सवाल का जवाब मिलेगा यहां, बस अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लें ये ऐप

देश में बढ़ा था दावा अनुपात

साल 2018-19 में महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, हरियाणा और छत्तीसगढ़ में बीमा कंपनियों को प्रीमियम के तौर पर जितना पैसा मिला था. उससे ज्यादा पैसा बीमा कंपनियों को किसानों को देना पड़ा था, जबकि अखिल भारतीय आधार पर दावा अनुपात 75.4 था.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना प्रीमियम 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत, किसान रबी फसलों के लिए बीमा राशि का 1.5 प्रतिशत और खरीफ के लिए 2 प्रतिशत का भुगतान करते हैं, जबकि नकदी फसलों के लिए यह 5 प्रतिशत है. इसके अलावा, किसानों द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि से अधिक राशि सरकार द्वारा सब्सिडी के तौर पर दी जाती है, जिसे केंद्र और राज्यों के बीच 50:50 के आधार पर शेयर किया जाता है. अधिकारी के मुताबिक बीमाकर्ताओं की कम भागीदारी से प्रीमियम अधिक होता है और सरकार पर सब्सिडी का बोझ भी बढ़ता है.

इसे भी पढ़ें- Mobile App: हर किसान के फोन में होने चाहिए ये 3 ऐप, पढ़ लें पूरी डिटेल और फायदे 

क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना 

साल 2016 में शुरू हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना आज विश्व की सबसे बड़ी फसल बीमा योजना है. हर साल 5.5 करोड़ से अधिक किसान फसल बीमा के लिए रजिस्ट्रेशन करते हैं. इस योजना में कम से कम प्रीमियम पर अधिक से अधिक लाभ का क्लेम किया जाता है. इस योजना से जुड़ने की प्रक्रिया बहुत ही सरल है और कोई भी किसान अपनी फसल का बीमा करा सकता है. वहीं, बारिश, तापमान, पाला, नमी आदि जैसी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में इस योजना का लाभ मिलता है.
 

MORE NEWS

Read more!