'थार रेगिस्तान में बदल जाएगा पाकिस्तान, हम तो भूख से मर जाएंगे'... सिंधु जल संधि रोकने पर बोली महिला

'थार रेगिस्तान में बदल जाएगा पाकिस्तान, हम तो भूख से मर जाएंगे'... सिंधु जल संधि रोकने पर बोली महिला

भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया है. पहलगाम में आतंकी हमले के बाद यह कदम उठाया गया है. सिंधु जल संधि पाकिस्तान के लिए लाइफलाइन है. लिहाजा इसके स्थगित होने से पाकिस्तान में सिंचाई, पेयजल और बिजली की समस्या खड़ी होती दिख रही है.

Indus Water Treaty in abeyance: Govt plans fast-tracking 5 hydel projectsIndus Water Treaty in abeyance: Govt plans fast-tracking 5 hydel projects
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 28, 2025,
  • Updated Apr 28, 2025, 8:26 PM IST

सिंधु नदी से सटे कुछ दूरी पर एक खेत में अपनी सूखी सब्जियों पर कीटनाशक छिड़कते हुए पाकिस्तानी किसान होमला ठाकुर अपने भविष्य को लेकर फिक्रमंद हैं. सूरज की गर्मी अपने चरम पर है, नदी का जलस्तर बहुत कम हो गया है, और भारत ने कश्मीर में एक घातक आतंकवादी हमले के बाद ऊपर की ओर पानी की सप्लाई में कटौती करने की कसम खाई है. 40 साल की ठाकुर ने स्प्रे गन के लिए टैंक को फिर से भरने के लिए नदी की ओर जाने से पहले कहा, "अगर वे पानी रोक देते हैं, तो यह सब थार रेगिस्तान में बदल जाएगा, पूरा देश रेगिस्तान हो जाएगा."

"हम भूख से मर जाएंगे"

होमला ठाकुर का लगभग 5 एकड़ (2 हेक्टेयर) का खेत सिंध के दक्षिण-पूर्वी प्रांत के लतीफाबाद इलाके में स्थित है, जहां से सिंधु नदी तिब्बत से निकलकर भारत से होकर अरब सागर में मिलती है. ठाकुर की आशंकाओं को 15 से अधिक पाकिस्तानी किसानों और कई अन्य विशेषज्ञों ने भी दोहराया, खासकर तब जब हाल के वर्षों में बारिश कम हुई है.

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पहली बार, भारत ने बुधवार को विश्व बैंक की मध्यस्थता वाली सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया जो 1960 में शुरू की गई थी. यह जल संधि 80 परसेंट पाकिस्तानी खेतों के लिए पानी सप्लाई करती है. इस संधि को रोकते हुए भारत ने कहा कि यह तब तक जारी रहेगी जब तक "पाकिस्तान विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद के लिए अपने समर्थन को त्याग नहीं देता". भारत का कहना है कि कश्मीर में पर्यटकों पर हमला करने वाले और 26 लोगों को मारने वाले तीन आतंकवादियों में से दो पाकिस्तान के थे. इस्लामाबाद ने किसी भी भूमिका से इनकार किया है और कहा है कि "पाकिस्तान से संबंधित पानी की धारा को रोकने या मोड़ने का कोई भी प्रयास ... युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा".

भारत क्या कर सकता है?

दोनों पक्षों के सरकारी अधिकारियों और विशेषज्ञों का कहना है कि भारत तुरंत पानी की धारा को रोक नहीं सकता, क्योंकि संधि ने उसे पाकिस्तान को आवंटित तीन नदियों पर बिना किसी महत्वपूर्ण भंडारण या बांध के केवल पनबिजली प्लांट बनाने की अनुमति दी है. लेकिन कुछ महीनों में चीजें बदल सकती हैं. भारत के जल संसाधन मंत्री चंद्रकांत रघुनाथ पाटिल ने एक्स पर कहा, "हम सुनिश्चित करेंगे कि सिंधु नदी का एक भी बूंद पानी पाकिस्तान तक न पहुंचे." उन्होंने पाकिस्तान में आशंकाओं के बारे में सवालों का जवाब नहीं दिया.

दो भारतीय सरकारी अधिकारियों ने, जिन्होंने इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए अपनी पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया और 'रॉयटर्स' से कहा कि देश कुछ ही महीनों में नहरों का उपयोग करके अपने खेतों के लिए पानी की दिशा बदलना शुरू कर सकता है, जबकि पनबिजली बांधों की योजना बना रहा है, जिसके पूरा होने में चार से सात साल लग सकते हैं.

क्या कहते हैं एक्पर्ट

भारत के केंद्रीय जल आयोग के हाल ही में रिटायर्ड प्रमुख कुशविंदर वोहरा ने कहा कि भारत तत्काल ही भारत से होकर बहने वाली नदियों के अलग-अलग स्थानों पर पानी के बहाव जैसे डेटा को साझा करना बंद कर देगा, बाढ़ की चेतावनी रोक देगा और दोनों देशों के एक-एक अधिकारी की अध्यक्षता वाले स्थायी सिंधु आयोग के तहत वार्षिक बैठकों में भाग नहीं लेगा. वोहरा, जो भारत के सिंधु आयुक्त भी थे और अब कभी-कभी सरकार को सलाह देते हैं, ने कहा, "उनके (पाकिस्तान) पास इस बारे में अधिक जानकारी नहीं होगी कि पानी कब आ रहा है, कितना आ रहा है." "जानकारी के बिना, वे योजना नहीं बना सकते."

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अर्थशास्त्रियों का कहना है कि यह सिर्फ कृषि ही नहीं है, पानी की कमी से बिजली उत्पादन भी प्रभावित होगा और अर्थव्यवस्था भी ठप हो जाएगी. 24 करोड़ लोगों वाले देश पाकिस्तान के लिए बनी तीन नदियां 160 लाख हेक्टेयर से ज़्यादा कृषि भूमि की सिंचाई करती हैं, जो कुल भूमि का 80 परसेंट है. कराची की एक रिसर्च फर्म, पाकिस्तान एग्रीकल्चर रिसर्च के ग़ाशरिब शौकत ने कहा कि भारत की कार्रवाइयां "ऐसी व्यवस्था में अनिश्चितता पैदा करती हैं" उन्होंने कहा, "इस समय हमारे पास कोई विकल्प नहीं है." "संधि के तहत बहने वाली नदियां न केवल फसलों, बल्कि शहरों, बिजली उत्पादन और लाखों आजीविकाओं में मदद करती हैं."

 

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