बीते कुछ साल से उत्तराखंड में महिला नव जागरण समिति फ्लेवर्ड नमक कंपनी नमकवाली के लिए पेड़ लगा रही है. महिला नव जागरण समिति एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) है जो पेड़ लगाने का काम करता है. यह संगठन 16-17 जुलाई के दौरान शिव और पार्वती की शादी के उपलक्ष्य में पेड़ लगाने का काम करता है.
यह एजीओ नमकवाली के आग्रह पर पेड़ लगाने का काम करता है. पेड़ हरेला त्योहार पर लगाया जाता है. इस त्योहार पर शिव और पार्वती की शादी होती है. इस खास अभियान में नकम के हर एक पैकेट की खरीद पर एक पौधा लगाया जाता है. हरेला त्योहार के दौरान जितना भी नमक खरीदा जाता है, उसके हिसाब से पेड़ लगाने का काम किया जाता है. पेड़ लगाने के लिए नमकवाली कंपनी और एनजीओ में एक खास संबंध है.
एनजीओ और नकमवाली कंपनी, दोनों को शशि बहुगुणा रतूड़ी ने बनाया है. अभी हाल में रतूड़ी की खबरें सुर्खियों में आई थीं जब कार देखो कंपनी के सीईओ और उसके को-फाउंडर अमित जैन ने नमकवाली कंपनी में निवेश करने का ऐलान किया था. शार्ट टैंक प्रोग्राम में अपनी बात रखते हुए जैन ने ऐलान किया था कि वे नमकवाली में 5 परसेंट इक्विटी के साथ 10 लाख रुपये निवेश करेंगे.
रतूड़ी ने 2018 में नमकवाली कंपनी शुरू की थी और इसके लिए उन्होंने इंस्टाग्राम और फेसबुक का सहारा लिया था. हालांकि 2020 में नमकवाली को आधिकारिक तौर पर ब्रांड के रूप में रजिस्टर किया गया. इस कंपनी को बनाने के पीछे मुख्य मकसद ये था कि लोग हिमालयन भोजन और व्यंजनों के बारे में जान सकें. रतूड़ी ने अपने काम की शुरुआत 'पिस्यू लून पहाड़ी नमक' नाम के हिमालयन नमक की बिक्री के साथ की. यह नमक हाथ से सिल बट्टे से पीसकर तैयार किया जाता है. इसमें उत्तराखंड की ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दिया गया ताकि उनकी कुछ इनकम हो सके.
'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट बताती है कि नकमवाली कंपनी के और भी प्रोडक्ट शुरू हुए जिससे इसका काम तेजी से आगे बढ़ा. इसमें लोकल प्रोडक्ट्स भी शामिल किए गए. आज इस कंपनी के 21 यूनिट्स चल रहे हैं. यह कंपनी 10-12 महिलाओं के काम के साथ शुरू हुई जो नमक पीसने का काम करती थीं. इस नमक के साथ उत्तराखंड के पारंपरिक मसाले और जड़ी-बूटियों को पीसा जाता है. इसमें लहसुन फ्लेवर्ड नमक, अदरक फ्लेवर्ड नमक बेचा जाता है. इस प्रोडक्ट से उत्तराखंड के व्यंजनों और टेस्ट को घर-घर तक पहुंचाने में मदद मिली है.