इथेनॉल के लिए मक्का किसानों को अच्छी किस्मों का चयन करना होगा, इथेनॉल मात्रा पर नियम ला रही सरकार

इथेनॉल के लिए मक्का किसानों को अच्छी किस्मों का चयन करना होगा, इथेनॉल मात्रा पर नियम ला रही सरकार

सरकार मक्का के बीजों के इस्तेमाल गाइडलाइन में में इथेनॉल की मात्रा मानक शामिल करके बदलाव करने की योजना बना रही है. इसका उद्देश्य किसानों को ऐसी सर्वोत्तम किस्मों को चुनने के लिए प्रेरित करना है, जिनसे उन्हें बेहतर स्टॉर्च और मूल्य मिल सके.

 इथेनॉल ब्लेंडिंग टारगेट के लिए इथेनॉल उत्पादन बढ़ाना है. इथेनॉल ब्लेंडिंग टारगेट के लिए इथेनॉल उत्पादन बढ़ाना है.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Dec 24, 2024,
  • Updated Dec 24, 2024, 3:51 PM IST

अधिक इथेनॉल मात्रा के लिए सरकार मक्का किसानों को अच्छी किस्मों के चयन के लिए प्रेरित करेगी. इसके लिए इथेनॉल मात्रा मानक समेत नियम लाने पर विचार किया जा रहा है. इसका उद्देश्य ज्यादा इथेनॉल बनाने वाली मक्का किस्मों की बुवाई बढ़ाना है. ताकि, किसानों को ज्यादा स्टॉर्च के लिए अच्छा दाम मिल सके. बता केंद्र ने 2024-25 के लिए इथेनॉल ब्लेंडिंग का टारगेट 20 फीसदी रखा है. इसके लिए अनाज आधारित इथेनॉल उत्पादन बढ़ाना जरूरी है. 

सरकार मक्का के बीजों के इस्तेमाल गाइडलाइन में में इथेनॉल की मात्रा मानक शामिल करके बदलाव करने की योजना बना रही है. यह तब लागू होगा जब नई किस्मों के कमर्शियल स्वीकृति मांगी जाएगी. इसका उद्देश्य किसानों को ऐसी सर्वोत्तम किस्मों को चुनने के लिए प्रेरित करना है, जिनसे उन्हें बेहतर स्टॉर्च और मूल्य मिल सके. साथ ही मौजूदा कम से कम 38 फीसदी से 40 फीसदी या उससे अधिक इथेनॉल की मात्रा वाली किस्मों को विकसित करने के लिए रिसर्च चल रही है.

मक्का संस्थान ज्यादा इथेनॉल वाली किस्में बना रहा 

रिपोर्ट के अनुसार लुधियाना स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (आईआईएमआर) 1-2 वर्षों में 41-42 फीसदी इथेनॉल (स्टार्च की मात्रा के आधार पर मापा गया) की रिकवरी स्तर वाली किस्म विकसित कर सकता है. दूसरी ओर, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) जल्द ही यह तय करेगा कि क्या हर नए मक्का बीज को कमर्शियल लॉन्चिंग के लिए स्वीकृति मांगते समय इथेनॉल की मात्रा का उल्लेख करना होगा, जो पहले जरूरी नहीं था.

स्टॉर्च मात्रा और मक्का किस्म को जानना होगा 

इंडस्ट्री के जानकारों ने कहा कि इससे अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट को बढ़ावा देने और किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं, लेकिन सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि सरकार बीज पैकेट के लेबल में उपयुक्त बदलाव करती है या नहीं. मार्केट एक्सपर्ट ने कहा कि किसानों के लिए यह जानना जरूरी है कि उनके द्वारा चुनी गई किस्मों में कितना इथेनॉल है, ताकि वे डिस्टिलरी से फसल के लिए उसी हिसाब से कीमत मांग सकें. इसके अलावा, सरकार को इथेनॉल की मात्रा के आधार पर एमएसपी तय करने पर विचार करना चाहिए, ताकि अधिक मात्रा वाले मक्के को गन्ने के मॉडल की तरह अधिक कीमत मिल सके.

कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग करनी होगी 

किसानों के लिए यह फायदेमंद है कि वे अपनी उगाई जाने वाली मक्का किस्मों के लाभों के बारे में जागरूक हों, भले ही लेबल पर इथेनॉल की मात्रा का उल्लेख हो. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर फसल किसी अन्य किस्म (कम स्टार्च वाली) से परागण के चलते प्रभावित होती है तो स्टार्च की मात्रा घट सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि डिस्टिलरी को आगे आना होगा और सरकार को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की सुविधा देनी होगी, ताकि कम से कम 200 मीटर के दायरे में उच्चतम इथेनॉल-सामग्री वाली किस्म के अलावा कोई अन्य मक्का किस्म न उगाई जाए. 

ये भी पढ़ें - 

MORE NEWS

Read more!