जरा कल्पना करिए कि अस्पताल में कुछ दिन रहने के बाद दोपहर में डॉक्टर राउंड पर आता है और आपके परिजन को छुट्टी के लिए फिट घोषित करता है. आपके परिवार के लोग अपना सामान समेटने लगते हैं और आप बीमा कंपनी से बिल पास करवाने के लिए इधर-उधर भागते हैं. घड़ी शाम के 7 बजाती है लेकिन आप तब भी अस्पताल में हैं, क्योंकि आपका हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम अप्रूव नहीं हुआ है. जब तक इंश्योरेंस कंपनी बिलों को पास नहीं करता तब तक अस्पताल आपको छुट्टी नहीं देगा. ऐसे में आपको अस्पताल में एक और रात बितानी पड़ सकती है, जिससे आपका बिल बढ़ जाएगा. ऐसी स्थिति आपके लिए कई मायनों में पीड़ादायी हो सकती है.
बीमा कंपनियों या थर्ड-पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) की ओर से स्वास्थ्य बीमा दावों के निपटारे में देरी अक्सर रोगियों और उनके परिवारों के लिए दुखदायी बन जाते हैं. अकसर ऐसे मामले सामने आते रहे हैं. मार्केट एनालिटिक्स फर्म लोकल सर्किल्स के सर्वे के अनुसार कई मामलों में मरीज के डिस्चार्ज के लिए तैयार होने के बाद उन्हें डिस्चार्ज होने में 10-12 घंटे लग गए, क्योंकि स्वास्थ्य बीमा दावे की प्रक्रिया में देरी हुई. अगर वे ऐसा करने के लिए एक और दिन अस्पताल में रुकते हैं, तो उस अतिरिक्त रात के ठहरने का खर्च उन्हें ही उठाना पड़ता है.
लेकिन, अब हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम प्रॉसेस में बीमा नियामक IRDAI के नए नियम से ऐसे अनुभव पुरानी बात हो सकते हैं.