अच्‍छा मॉनसून खेती-बाड़ी में लाएगा खुशखबरी, टैरिफ के दबाव को कम करने में मिलेगी मदद

अच्‍छा मॉनसून खेती-बाड़ी में लाएगा खुशखबरी, टैरिफ के दबाव को कम करने में मिलेगी मदद

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान लगाया है कि पूरे देश में मौसमी वर्षा दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) के 105 प्रतिशत के साथ (+/-) 5 प्रतिशत के मार्जिन के साथ होने की संभावना है. 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है.

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क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 30, 2025,
  • Updated Apr 30, 2025, 5:57 PM IST

विभ‍िन्‍न मौसम एजेंसियां इस साल भारत में मॉनसून की स्थिति को लेकर पूर्वानुमान जारी कर चुकी हैं. अब इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (Ind-Ra) ने बुधवार को कहा है कि 2025 में सामान्य से थोड़ा अधिक मॉनसून रहने का आईएमडी का पूर्वानुमान कृषि क्षेत्र की बढ़ोतरी को बूस्‍ट करेगा. यह मौद्रिक सहजता के साथ-साथ भारत को पारस्परिक ट्रैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव का सामना करने में मदद करेगा. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पूर्वानुमान लगाया है कि पूरे देश में मौसमी वर्षा दीर्घ अवधि औसत (एलपीए) के 105 प्रतिशत के साथ (+/-) 5 प्रतिशत के मार्जिन के साथ होने की संभावना है. 1971-2020 की अवधि के लिए पूरे देश में मौसमी वर्षा का एलपीए 87 सेमी है.

अच्‍छा मॉनसून अर्थव्‍यवस्‍था के लिए अच्‍छी खबर

Ind-Ra ने कहा कि आईएमडी का पूर्वानुमान न केवल किसानों के लिए बल्कि सामान्य रूप से अर्थव्यवस्था के लिए भी अच्छी खबर है. हालांकि, बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि यह स्थान और समय पर कैसे फैला है. अगर जलवायु परिवर्तन/झटके के कारण किसी भी महत्वपूर्ण मौसम संबंधी झटके के बिना प्रसार सामान्य के करीब है तो भारत एक और वर्ष में लगभग 4 प्रतिशत की उचित कृषि सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) वृद्धि देख सकता है.

आर्थि‍क खपत में बढ़ोतरी का संकेत

Ind-Ra के मुख्य अर्थशास्त्री और सार्वजनिक वित्त प्रमुख देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि यह अर्थव्यवस्था में खपत में बढ़ोतरी के लिए शुभ संकेत है. हमारे पास पहले से ही दो अच्छी फसलें हैं - खरीफ 2024 और रबी 2024 और वित्त वर्ष 26 में दो और अच्छी फसलों की उम्मीद के साथ-साथ महंगाई नियंत्रण में (आरबीआई के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के करीब) और मौद्रिक सहजता से भारतीय अर्थव्यवस्था में म्‍युचुअल टैरिफ के प्रतिकूल प्रभाव को झेलने की क्षमता है. 

कृषि क्षेत्र से रोजगार का अनुपात बढ़ा

Ind-Ra ने कहा कि सिंचाई में बढ़ोतरी, कृषि मूल्य वर्धित में गैर-फसल का उच्च हिस्सा और रबी सीजन में उच्च खाद्यान्न उत्पादन ने मानसून की अनिश्चितताओं के प्रति कृषि क्षेत्र की भेद्यता को कम किया है. Ind-Ra का मानना ​​है कि बहुत कुछ मॉनसून के महीनों- जून से सितंबर तक बारिश के स्थानिक और भौगोलिक प्रसार पर निर्भर करेगा, जबकि वास्तविक जीवीए में कृषि का अनुपात वित्त वर्ष 2012 में 18.5 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2025 में 14.5 प्रतिशत हो गया, यह भारतीय अर्थव्यवस्था (किसान और कृषि मजदूर) में रोजगार में प्रमुख योगदानकर्ता बना हुआ है. कृषि क्षेत्र से रोजगार का अनुपात वित्त वर्ष 2018 में 44.1 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में 46.1 प्रतिशत हो गया.

Ind-Ra ने कहा कि ऐसे समय में जब वास्तविक जीवीए में इसकी हिस्सेदारी घट रही है, कृषि से रोजगार का बढ़ता अनुपात सामान्य रूप से और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में खपत मांग वृद्धि के लिए निहितार्थ रखता है. Ind-Ra ने कहा कि अधिक सिंचित क्षेत्र और प्रमाणित/उच्च उपज वाली किस्म के बीज, उर्वरक और संस्थागत लाेन जैसे महत्वपूर्ण कृषि इनपुट की बेहतर उपलब्धता ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मौसम के झटकों के प्रति अपनी लचीलापन सुधारने में मदद की है.

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