मुर्गी पालन कम पैसे में अधिक कमाई देता है. कम जगह में अधिक कमाई देता है. इसके लिए बहुत अधिक निवेश की जरूरत भी नहीं है. हालांकि शुरुआती दौर में पूंजी की जरूरत होती है ताकि चूजे खरीद सकें. उसके लिए फीड खरीद सकें और लिए बाड़ा आदि बना सकें. ऐसे में अगर किसान के पास शुरुआती पूंजी न हो, तो वह क्या करेगा. या तो वह मुर्गी पालन करने का विचार छोड़ देगा या कहीं से पैसे का जुगाड़ करेगा. तो आइए हम बताते हैं कि आप कहां और किससे संपर्क करके मुर्गी पालन का काम शुरू कर सकते हैं.
सबसे पहले आप अपने इलाके में पशु चिकित्सा या पशुपालन कार्यालय से संपर्क करें. इन कार्यालयों में आपको बताया जाता है कि मुर्गी पालन के लिए क्या करना है और इसके लिए संसाधन कैसे जुटाना है. अधिकारी ये भी बताते हैं कि सरकारी मदद की सहायता से कैसे मुर्गी पालन जैसा काम शुरू कर सकते हैं. अधिकारी आपको बताएंगे कि इसके लिए कैसे और कहां आवेदन करना है.
मु्र्गीपालन में मदद लेने के लिए किसान कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं. यहां तक कि किसान मुद्रा लोन योजना और किसान क्रेडिट कार्ड योजना (KCC) का लाभ ले सकते हैं. किसान क्रेडिट कार्ड के जरिये किसान बैंकों से लोन ले सकते हैं और उससे मुर्गी पालन का काम शुरू कर सकते हैं. किसानों को इस काम में केंद्र सरकार की राष्ट्रीय पशुधन मिशन (NLM) योजना का भी लाभ मिलता है. इस योजना में किसानों को पूंजी पर सब्सिडी दी जाती है जिससे वे मुर्गी पालन का काम शुरू कर सकते हैं.
कई राज्यों की सरकारें किसानों के लिए पोल्ट्री फार्मिंग की विकास योजनाएं चलाती हैं. किसान इस स्कीम में आर्थिक सहायता लेकर पोल्ट्री फार्मिंग शुरू कर सकते हैं. पशुपालन के जितने भी काम हैं, उनमें सबसे कम पूंजी में पोल्ट्री फार्मिंग का काम शुरू किया जा सकता है. मुर्गी पालन कम से कम समय में अधिक लाभ देता है. परिवारों के पोषण के अलावा यह खाद्य सुरक्षा में भी मदद करता है. अंडा और मुर्गी का मांस पोषण का जरिया है, इसलिए मुर्गी पालन से कमाई के साथ पोषण सुधारने का काम होता है. अंडे और चिकन से आसानी से प्रोटीन मिलता है जो कि सबसे सस्ता प्रोटीन का स्रोत है.
जहां तक केसीसी की बात है तो किसान इसकी मदद से लोन लेकर मुर्गी पालन शुरू कर सकते हैं. केसीसी के माध्यम से किसानों को बैंकों से कार्यशील पूंजी सब्सिडी पर दी जाती है. यानी मुर्गी पालन शुरू करने के लिए जितने खर्च की जरूरत होगी, बैंक सब्सिडी पर वह राशि जारी करेगा. यहां तक कि किसानों के पास पशुधन बीमा, व्यक्तिगत बीमा, संपत्ति बीमा और स्वास्थ्य बीमा (जहां भी प्रोडक्ट उपलब्ध हो) का लाभ लेने का विकल्प मिलता है.