Delhi News: यमुना में छठ के पहले जहरीला झाग, आखिर क्‍या है इसकी वजह?

Delhi News: यमुना में छठ के पहले जहरीला झाग, आखिर क्‍या है इसकी वजह?

दिल्‍ली में हर साल अक्‍टूबर के महीने से यमुना नदी में जहरीले झाग की समस्‍या दिखाई देती है. इस बार भी छठ पूजा के पहले यहां झाग की समस्‍या बनी हुई हैं. झाग को कम करने के लिए दिल्‍ली जल बोर्ड काम कर रहा है, ताकि श्रद्धालुओं को इस झाग से कोई नुकसान न हो. जानिए आखिर यमुना के एक कुछ हिस्‍से में झाग की समस्‍या क्‍यों होती है.

यमुना नदी में फैला झाग.यमुना नदी में फैला झाग.
क‍िसान तक
  • New Delhi,
  • Nov 04, 2024,
  • Updated Nov 04, 2024, 4:07 PM IST

दिल्‍ली में छठ से ठीक पहले यमुना में दिख रहे जहरीले झाग ने लोगों की टेंशन बढ़ा दी है. छठ पूजा के दौरान हजारों की संख्या में पूर्वांचल समाज के लोग यमुना नदी में पूजा करते हैं. छठ पर उगते-डूबते हुए सूर्य की पूजा की जाती है और छठ के दौरान यमुना का महत्व और बढ़ जाता है, लेकिन अक्टूबर और नवंबर में यमुना में झाग बनने की वजह से यमुना में प्रदूषण की बात जितनी छठ पर होती है उतना पूरे साल नहीं होती. अब ज‍ब त्‍याेहार नजदीक आ गया है तो जहरीले झाग को कम करने के लिए दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी केमिकल का छिड़काव कर रहे हैं, लेकिन ये काफी नहीं है.

गेट नबंर 23 से 27 के बीच बनता है झाग

कालिंदी कुंज स्थित ओखला बैराज के गेट नंबर 23 से गेट नंबर 27 के बीच में ही यमुना में झाग बनता है और दीपावली के तीन दिन बाद ये सोमवार को भी नजर आया. इसी एरिया में दिल्ली जलबोर्ड एक टेंपररी लैब बनाकर defoaming कर रहा है. ये ओखला बैराज का लो स्ट्रीम वाला हिस्सा है अपर स्ट्रीम में यही पानी झाग नहीं बनाता है.

दिल्ली जल बोर्ड की ऑनसाइट टेंपररी लैब फोम को खत्म कर रही है. जल बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि FSSI से सर्टिफाइड फूड ग्रेड केमिकल डालकर फोम खत्म किया जा रहा है उसके बाद पानी का टेस्ट हो रहा है कि वो कहीं जहरीला तो नहीं. 21 अक्टूबर से फोम को खत्म कर रही ये लैब छठ के अगले दिन 8 की सुबह तक रहेगी और पानी की क्वालिटी पर नजर रखे हुए है.

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फॉस्फेट की मात्रा अधिक के कारण बनता है झाग

एक्सपर्ट ने बताया कि लो स्ट्रीम में surfactant वाले पानी का सर्फेस टेंशन कम होता है, जिसमें एयर दाखिल होती है और झाग बन जाता है. नाम न छापने की शर्त पर जल बोर्ड के एक अधिकारी ने कहा कि ओखला बैराज के ये गेट पूरी तरह से खोल दिए जाने चाहिए तब ये झाग खत्म हो जाएगा. दिल्ली जल बोर्ड के एक अधिकारी का कहना है कि झाग मुख्य रूप से ओखला बैराज पर देखने को ही मिलता है. छठ के दौरान जब ओखला बैराज के गेट खोले जाते हैं तो पानी काफी ऊंचाई से यमुना में गिरता है इसी वजह से झाग की परत बन जाती है. केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, झाग की यह परत ओखला बैराज और आईटीओ पर दिखती है.

हालांकि, एक्सपर्ट यह मानते हैं की नदी में कई जगह पर फॉस्फेट की मात्रा अधिक हो सकती है, लेकिन अन्य जगहों पर झाग न दिखने की वजह है कि वहां पर ऊंचाई से नदी में पानी नहीं गिरता. यमुना में झाग की वजह नालों के पानी के साथ आने वाला साबुन व डिटर्जेंट है. यमुना में शहर के कई हिस्सों का सीवर का पानी डाला जाता है. मॉनसून के बाद जब यमुना का जलस्तर कम होने लगता है तो प्रदूषण के कण एक परत बना लेते हैं. खासतौर पर फॉस्फेट की मात्रा इस झाग की परत के लिए जिम्मेदार है. सीपीसीबी और डीपीसीसी ने भी यमुना में झाग की वजह सर्फेक्टेंट और फॉस्फेट को माना है.

इन उपायों से दूर हो सकता है झाग 

उत्तर प्रदेश हरियाणा और दिल्ली में सीवरेज सिस्टम को मजबूत करने, इंडस्ट्रियल वेस्‍ट को नदी में बहाए जाने पर रोक लगाने, नदी में पानी के फ्लो को मेंटेन रखने से पानी की शुद्धता बनी रह सकती है और झाग नहीं बनेगा. (रामकिंकर सिंह की रिपोर्ट)

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