प्रोसेसर्स के लिए मुसीबत बनी चावल की खली! SEA ने सरकार से दोबारा निर्यात चालू करने की उठाई मांग

प्रोसेसर्स के लिए मुसीबत बनी चावल की खली! SEA ने सरकार से दोबारा निर्यात चालू करने की उठाई मांग

SEA ने कहा है कि‍ प्रतिबंध के कारण ऑयल प्रोसेसर्स चावल की भूसी के निपटान के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे कई लोगों को काम रोकने या क्षमता में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इसके कारण चावल मिलिंग उद्योग और राइस ब्रान ऑयल उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे हैं.

rice bran processingrice bran processing
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 16, 2025,
  • Updated Apr 16, 2025, 6:15 PM IST

भारत में धान के उत्‍पादन के साथ ही राइस ब्रान ऑयल का उत्‍पादन भी होता है. ऐसे में इससे निकलने वाली खली भी सह-उत्‍पाद के रूप में बचती है, जिसका इस्‍तेमाल पशुचारे और पोल्‍ट्री फीड बनाने में होता है. केंद्र सरकार ने साल 2023 से चावल की खली के निर्यात पर बैन लगा रखा है. ऐसे में इसका भंडारण प्रोसेसर्स के लिए चुनौती खड़ी कर रहा है. इस बीच, अब सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) ने बुधवार को सरकार से मांग की है कि वह अधिशेष स्टॉक को निकालने के लिए चावल भूसी की खली के निर्यात से प्रतिबंध हटाए. 

निपटान के लिए संघर्ष कर रहे प्रोसेसर्स

चावल की खली का इस्‍तेमाल मुख्‍य रूप से मवेशियों और मुर्गी पालन के लिए चारे के रूप में किया जाता है. SEA ने एक बयान में कहा है कि‍ प्रतिबंध के कारण ऑयल प्रोसेसर्स चावल की भूसी के निपटान के लिए संघर्ष कर रहे हैं, जिससे कई लोगों को काम रोकने या क्षमता में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. इसके कारण चावल मिलिंग उद्योग और राइस ब्रान ऑयल उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे हैं.

30 सितंबर, 2025 तक लगा है निर्यात पर बैन

सरकार ने 28 जुलाई, 2023 को चावल की खली के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और इसे कई बार बढ़ाया है - सबसे हाल ही में सरकार ने फरवरी 2025 को घोषणा कर बैन 30 सितंबर, 2025 तक बढ़ा दिया है. मुंबई स्थित व्यापार निकाय ने कहा कि हमने सरकार से प्रतिबंध हटाने के व्यापक आर्थिक, कृषि और पर्यावरणीय लाभों का मूल्यांकन करने का आग्रह किया है.

SEA ने सरकार को दिए ये तर्क

SEA ने तर्क दिया कि अधिशेष चावल की खली का निर्यात करने से स्टॉक की कुशल निकासी हो सकेगी, निरंतर प्रोसेस‍िंग सक्षम होगी, क्षमता उपयोग में सुधार होगा, वनस्पति तेल उत्पादन को बनाए रखा जा सकेगा, रोजगार और विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि होगी.

इन देशों में भारत ने बनाया है बाजार

तीन दशकों से अधिक समय से भारत ने वियतनाम, थाईलैंड, बांग्लादेश और अन्य एशियाई देशों में तेल रहित चावल की भूसी के लिए मजबूत निर्यात बाजार बनाए हैं. एसईए ने कहा कि प्रतिबंध ने प्रतिस्पर्धियों को आगे आने का मौका दिया है, जिससे एक विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को खतरा पैदा हो गया है.

बिनौला तेल खली की कीमत बढ़ी

वहीं, वायदा कारोबार में बुधवार को बिनौला तेल खली की कीमत 11 रुपये की तेजी के साथ 2,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गई, क्योंकि सटोरियों ने अधिक मांग के बीच ताजा सौदों की लिवाली की. एनसीडीईएक्स में मई डिलीवरी के लिए बिनौला तेल खली की कीमत 11 रुपये अथवा 0.38 प्रतिशत की तेजी के साथ 2,900 रुपये प्रति क्विंटल हो गई जिसमें 85,110 लॉट के लिए कारोबार हुआ. बाजार सूत्रों ने कहा कि पशु चारे की बढ़ती मांग के बीच प्रतिभागियों द्वारा अपने सौदों का आकार बढ़ाने से मुख्यत: बिनौला तेल खली की कीमतों में तेजी आई. (पीटीआई)

MORE NEWS

Read more!