Budget 2025: तिलहन के लिए बजट में 500 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड बना सकती है सरकार, उत्पादन-बाजार और मूल्य पर रहेगा फोकस  

Budget 2025: तिलहन के लिए बजट में 500 करोड़ का रिवॉल्विंग फंड बना सकती है सरकार, उत्पादन-बाजार और मूल्य पर रहेगा फोकस  

इस तरह के मॉडल से तिलहन किसानों को कम से कम फसल पर टिके रहने में मदद मिल सकती है, भले ही वे रकबा बढ़ाना न चाहें. इस योजना से किसानों को अपनी तिलहन फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार राष्ट्रीय तिलहन मिशन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम है.

oilseedsoilseeds
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 25, 2025,
  • Updated Jan 25, 2025, 4:47 PM IST

केंद्र सरकार अब दलहन बफर स्टॉक की तरह ही तिलहन बफर स्टॉक बनाने पर विचार कर रही है. यह निर्णय तब लिया गया है, जब केंद्र सरकार ने कृषि मंत्रालय की मंजूरी के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर तिलहन की खरीद की अनुमति दी है. एक अलग स्टॉक राज्यों को तिलहन की खरीद करने और खुले बाजार में बेचने से पहले कीमतों को स्थिर करने में मदद करेगा. साथ ही कुछ समय के लिए भंडारण करने में भी सहायता कर सकता है. एक सूत्र ने कहा कि यदि प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो बजट में 500 करोड़ रुपये के रिवॉल्विंग फंड की घोषणा की जा सकती है, जो विशेष रूप से तिलहन खरीद के लिए होगा, ताकि किसान कभी भी परेशान न हों, खासकर जब कटाई के समय बाजार की दरें MSP से 20-30 प्रतिशत नीचे चली जाती हैं.

'तिलहन फसलों के लिए मिलेगा एमएसपी'

सूत्र ने कहा इस तरह के मॉडल से तिलहन किसानों को कम से कम फसल पर टिके रहने में मदद मिल सकती है, भले ही वे रकबा बढ़ाना न चाहें. इस योजना से किसानों को अपनी तिलहन फसलों के लिए एमएसपी प्राप्त करने में मदद मिलेगी, साथ ही यह भी सुनिश्चित होगा कि सरकार राष्ट्रीय तिलहन मिशन के उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम है.

तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य

सरकार तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्सुक है. सोयाबीन और सरसों के मामले में, किसानों ने इस साल मक्का और चना की ओर रुख किया है, आंशिक रूप से मौसम और कीमतों के कारण, जिससे तिलहन पर राष्ट्रीय मिशन पर चिंता बढ़ गई है, जिसका लक्ष्य 2030-31 तक उत्पादन को मौजूदा 39 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 69.7 मीट्रिक टन करना है.

ये भी पढ़ें:- उन्नत खेती के लिए Budget 2025 से बड़ी उम्मीदें, एक्सपर्ट बोले- बढ़ती लागत और क्लाइमेट चेंज केंद्र के लिए चुनौती

एक उद्योग स्रोत ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में बहुत सी अनाज आधारित डिस्टिलरीज आई हैं, जिनमें से कुछ तो बिना सरकारी सब्सिडी के भी हैं. इस निर्णय ने मक्का की कीमतों को प्रभावित किया है. चूंकि संकर किस्मों से किसान एक हेक्टेयर से 5 से 5.5 टन मक्का प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए 2400 रुपये प्रति क्विंटल की दर से, एक किसान केवल मक्का से एक सीजन में 1.32 लाख रुपये कमा सकता है, जबकि सोयाबीन से वह 1.5 टन प्रति हेक्टेयर की उत्पाद में एक हेक्टेयर से 67,500 रुपये कमा सकता है.  

तिलहन का उत्पादन इतना करने का लक्ष्य 

चालू रबी सीजन में सरसों का रकबा 5 प्रतिशत घटकर 89.3 लाख हेक्टेयर रह गया है, जबकि पिछले खरीफ सीजन में सोयाबीन का रकबा 2 प्रतिशत घटकर 129.35 लाख हेक्टेयर रह गया था. बता दें कि सरकार ने पिछले साल अक्टूबर में 10,103 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ खाद्य तेल (तिलहन) पर राष्ट्रीय मिशन की घोषणा की थी, जिसे अगले छह वर्षों में लागू किया जाना है, जिसका लक्ष्य 2022-23 में लगभग 39 मीट्रिक टन से 2030-31 तक 69.7 मिलियन टन (एमटी) तक प्राथमिक तिलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाना है. एनएमओओपी (ऑयल पाम) के साथ मिलकर मिशन का लक्ष्य 2030-31 तक घरेलू खाद्य तेल उत्पादन को 25.45 मीट्रिक टन तक बढ़ाना है, जो हमारी अनुमानित घरेलू आवश्यकता का लगभग 72 प्रतिशत पूरा करेगा.

केंद्रीय कृषि मंत्रालय पहली बार "माई Gov" प्लेटफॉर्म का उपयोग करके खाद्य तेल पर सर्वेक्षण कर रहा है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ताओं की इच्छा के अनुसार नीति तैयार करना है, ताकि किसानों को मांग आधारित फसलों को उगाने से लाभ मिल सके और देश को खाद्य तेल में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद मिल सके. 

MORE NEWS

Read more!