फूड सेक्टर और कृषि क्षेत्र की मल्टीनेशनल कंपनी कारिगल ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में अपना एक कॉर्न मिलिंग प्लांट खोला है. इसे सात्विक एग्रो प्रोसेसर्स ने शुरू किया है जो कारगिल के साथ पार्टनरशिप वाली कंपनी है. कॉन्फेक्शनरी, इंस्टेंट फॉर्मूला और डेयरी सेक्टर की बढ़ती मांग को देखते हुए इस प्लांट को शुरू किया गया है. देश में कॉर्न यानी मक्के का बाजार तेजी से बढ़ रहा है जिसका इस्तेमाल कई तरह के खाने के सामान हो रहा है. इस मांग को देखते हुए कारगिल ने सात्विक एग्रो के साथ इस प्लांट को शुरू किया है.
कारगिल और सात्विक एग्रो के बीच बिजनेस साझेदारी है जिसके तहत ग्वालियर में कॉर्न मिलिंग प्लांट शुरू किया गया है. इस प्लांट में मक्के का स्टार्च और अन्य प्रोडक्ट बनाए जाएंगे. शुरू में हर दिन 500 टन स्टार्च बनाने की तैयारी की जा रही है जिसे बाद में 1000 टन प्रति दिन करने की योजना है. प्लांट को इसी क्षमता के मुताबिक तैयार किया गया है.
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इस प्लांट के तैयार होने से देश के उत्तर, मध्यम और पश्चिमी हिस्से के ग्राहकों की मांग पूरी की जा सकेगी. अभी तक दक्षिण भारत के प्लांट से इन हिस्सों में माल की सप्लाई की जाती है. ग्वालियर में बने प्लांट से कंपनी का खर्च और लॉजिस्टिक्स दोनों बचेगा. फिलहाल यह प्लांट देश की डिमांड को ही पूरा करेगा, लेकिन बाद में निर्यात के लिहाज से भी इसकी क्षमता बढ़ाई जाएगी.
ग्वालियर वाले प्लांट का उद्घाटन कारगिल के फूड एपीएसी, ग्रुप प्रेसिडेंट जॉन फेरिंग ने किया. साथ में कारगिल इंडिया के प्रेसिडेंट साइमन जॉर्ज भी रहे. इस मौके पर साइमन जॉर्ज ने कहा, लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने से हम सप्लाई में लगने वाले समय को कम कर पा रहे हैं. इससे खर्च की बचत हो रही है और हमेशा फूड सॉल्यूशन (खाने का सामान बनाने की सामग्री) की स्थिर सप्लाई बनी रहती है. खाने के सामान बनाने वाली कंपनियों को अपने ग्राहकों के मुताबिक तेज और समय पर सप्लाई की जरूरत होती है जिसे पूरा किया जा रहा है.
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भारत में कॉन्फेक्शनरी, इंस्टेंट फॉर्मूला और डेयरी सेक्टर का बाजार लगभग 15 अरब डॉलर का है जिसमें हर साल तेजी से ग्रोथ देखी जा रही है. अगले पांच साल में इस सेक्टर में 6 से 11 परसेंट तक ग्रोथ की उम्मीद है. इसमें सबसे अधिक मांग स्टार्ट डेरिवेटिव की रहेगी जिसे देखते हुए कारगिल ने ग्वालियर में अपना प्लांट शुरू किया है. स्टार्च डेरिवेटिव का इस्तेमाल गमी, जेली, फिलिंग्स, दही, पनीर, प्रोसेस्ड दूध और इंफेंट फॉर्मूला में बड़े पैमाने पर होता है.