आगामी 1 फरवरी को केंद्र सरकार 2025-26 के लिए आम बजट पेश करने जा रही है. इस बजट में उन्नत खेती और किसानों के लिए वित्तीय समावेशन को लेकर अहम निर्णय और नीतियां आने की उम्मीद की जा रही है. एक्सपर्ट ने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों के लिए वित्तीय सीमा बढ़ाने और इनोवेटिव फाइनेंस मॉडल पेश करने जैसे क्रेडिट सपोर्ट को बढ़ाना ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा. इसके अलावा टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास योजनाओं पर अधिक जोर देने की भी उम्मीद है. इसके अलावा सरकार खेती को अधिक लाभदायक, आधुनिक और आत्मनिर्भर बनाना चाहती है, साथ ही यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भोजन और आवश्यक वस्तुएं सभी के लिए सस्ती रहें. ऐसे में इस बार कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के लिए कई अहम नीतियां और योजनाएं लॉन्च होने की संभावना है.
टैक्स, इनवेस्टमेंट एक्सपर्ट और बीपीएन फिनकैप (BPN Fincap) के डायरेक्टर एके निगम ने कहा कि कृषि के लिए अधिक धन की जरूरत को देखते हुए सरकार कृषि के लिए अपने बजट में 4.5 फीसदी की बढ़त कर सकती है. इस अतिरिक्त धन का इस्तेमाल खेती, अनुसंधान और मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे क्षेत्रों में सुधार के लिए किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि झींगा पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रजनन केंद्रों और खेती की सुविधाओं के लिए धन मुहैया कराकर झींगा पालक किसानों की मदद करेगी. इससे झींगा निर्यात और झींगा किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी.
एके निगम ने बताया कि सरकार किसानों की मदद के लिए उर्वरक, भोजन और गैस जैसी चीजों पर खर्च की जाने वाली राशि बढ़ाने की योजना बना रही है. इसका मतलब है कि किसानों को जरूरी चीजों की बढ़ती लागत को संभालने के लिए ज्यादा सहायता मिल सकती है. उन्होंने कहा कि अगले 3 सालों में खेती को तकनीकी रूप से बेहतर बनाया जाएगा. इसमें फसलों पर नजर रखने के बेहतर तरीके, किसानों और उनकी जमीन का विस्तृत रिकॉर्ड रखना और किसानों के लिए डिजिटल टूल से लोन पाना आसान बनाना शामिल है.
उन्होंने कहा कि भारत दाल और खाना पकाने के लिए तेल जैसी चीजों के आयात पर कम निर्भर रहना चाहता है. सरकार देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों को ज्यादा सरसों, मूंगफली, सोयाबीन और सूरजमुखी उगाने में मदद करेगी. उन्होंने कहा कि शहरों के नजदीक सब्जियां उगाने और बेचने के लिए बड़े केंद्र बनाने पर सरकार नई योजना लॉन्च कर सकती है. इससे किसानों के लिए अपनी उपज बेचना और उपभोक्ताओं के लिए ताजी सब्जियां पाना आसान हो जाएगा.
किसानों की पैसे की जरूरत पूरी करने वाली कंपनी किसानधन के सीईओ गुरिंदर सिंह सेहम्बे ने बताया कि पिछले साल हमने कुछ उल्लेखनीय निर्णय देखे जैसे कृषि ऋण वितरण में 31 फीसदी की वृद्धि, जो 21 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 27.5 लाख करोड़ रुपये किया गया और ग्रामीण ऋण को औपचारिक बनाने की नीतियां पेश की गईं. जैसे-जैसे हम बजट 2025 के करीब पहुंच रहे हैं, हमारी प्राथमिक अपेक्षा यह है कि नीतियां कृषि क्षेत्र के लिए वित्तीय समावेशन और पहुंच पर अपना ध्यान केंद्रित रखें. छोटे और सीमांत किसानों के लिए सीमा बढ़ाने और अभिनव वित्तपोषण मॉडल पेश करने जैसे ऋण समर्थन को बढ़ाना ग्रामीण उद्यमियों को सशक्त बनाने के लिए महत्वपूर्ण होगा.
सीईओ गुरिंदर सिंह सेहम्बे ने कहा कि हम टिकाऊ कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे के विकास, डिजिटलीकरण और लक्षित योजनाओं पर अधिक जोर देने की भी उम्मीद करते हैं. सभी की निगाहें इस बात पर होंगी कि यह किसानों को परेशान करने वाले मुद्दों जैसे बढ़ती इनपुट लागत, जलवायु परिवर्तन के जोखिम और कम रिटर्न का को कैसे सुलझाया जाएगा. इन क्षेत्रों पर केंद्रित एक मजबूत बजट समान विकास को बढ़ावा दे सकता है, किसानों की आय को स्थिर कर सकता है और एक मजबूत एग्रीकल्चर फाइनेंस इकोसिस्टम विकसित कर सकता है.