Crop New Varieties: किसानों को बड़ी सौगात: फसलों की 6 नई किस्में तैयार, रोगों का खतरा नहीं, गर्मी में भी मिलेगी उपज

Crop New Varieties: किसानों को बड़ी सौगात: फसलों की 6 नई किस्में तैयार, रोगों का खतरा नहीं, गर्मी में भी मिलेगी उपज

Crop New Varieties: अकोला कृषि विश्विद्यालय ने जिन 6 फसलों को अधिसूचित किया है उनमें गेहूं, पीली ज्वार, चना, सोयाबीन (2) और मूंगफली के नाम हैं. ये भी सभी नई किस्में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु के लिए उपयुक्त हैं.

पंजाब में गेहूं खरीद में इस बार किसानों को हुआ फायदा पंजाब में गेहूं खरीद में इस बार किसानों को हुआ फायदा
धनंजय साबले
  • Akola (Maharashtra),
  • May 26, 2025,
  • Updated May 26, 2025, 6:06 PM IST

अकोला के डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विश्वविद्यालय, की तीन नई और तीन पुरानी संशोधित फसल किस्मों को केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय अधिसूचना प्राप्त हुई है. इससे देशभर के किसानों को उच्च गुणवत्ता, अधिक उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली फसलों की खेती का लाभ मिलेगा. यह मंजूरी हाल ही में कृषि मंत्रालय की केंद्रीय फसल गुणवत्ता अधिसूचना एवं प्रसारण समिति की 93वीं बैठक में दी गई. इन किस्मों में गेहूं, ज्वार, चना, सोयाबीन और मूंगफली की प्रजातियां शामिल हैं. विश्वविद्यालय की यह उपलब्धि टिकाऊ खेती और लाभकारी कृषि के दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

नई अधिसूचित किस्में :

गेहूं – AKW-5100
● उच्च उत्पादन क्षमता
● ताम्बेरा रोग प्रतिरोधक
● गर्मी में भी उपज संभव
● ब्रेड और चपाती के लिए उपयुक्त
● राज्य: महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु

पीली ज्वार – CSV 65 यलो
● जैविक रूप से समृद्ध
● जिंक – 23.2 PPM, आयरन – 30.8 PPM
● प्रोटीन – 10.4%
● परिपक्वता – 110-112 दिन
● उपज – 25-28 क्विंटल/हे.

चना – सुपर जैकी (AKG 1402)
● उपज – 20.73 क्विंटल/हे.
● परिपक्वता – 98 दिन
● मर रोग से मध्यम सुरक्षा
● मशीन से कटाई योग्य

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प्रसार क्षेत्र बढ़ाई गई किस्में :

सोयाबीन – पीडीकेवी अंबा (AMS 100-39)
● परिपक्वता – 94-96 दिन
● जड़/तना सड़न रोग से प्रतिरोधक
● अब गुजरात में भी स्वीकृत

सोयाबीन – पीडीकेवी पूर्वा (AMS 2014-1)
● उपज – 22-26 क्विंटल/हे.
● परिपक्वता – 105-107 दिन
● अब असम, मेघालय, दक्षिण-पूर्व मध्य प्रदेश में भी स्वीकृत

मूंगफली – TAG 73 (TAG 14-73)
● शेंग उपज – 25-28 क्विंटल/हे.
● दाना प्रतिशत – 73-74%
● तेल प्रतिशत – 48-49%
● अब गुजरात में भी स्वीकृत

फसलों की इस स्वीकृति को लेकर डॉ. शरद गडाख, कुलपति, पंदेकृवि, अकोला ने कहा, “शाश्वत खेती और समृद्ध किसान के संकल्प के साथ हम काम कर रहे हैं. नई किस्में किसानों को अधिक मुनाफा और बेहतर फसल की दिशा देंगी.” 

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अनुसंधानकर्ताओं को मिला सम्मान :

उपलब्धियों के पीछे प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. स्वाती भराड, डॉ. आर. बी. घोराडे, डॉ. अर्चना थोरात, डॉ. मनीष लाडोले और डॉ. सतीश निचल का सराहनीय योगदान रहा है. कुलपति और अनुसंधान संचालक ने सभी शोधकर्ताओं को सम्मानित किया.

 

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