कृषि निर्यात घटने से एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट में गिरावट, चावल-चीनी, गेहूं और प्याज एक्सपोर्ट बैन बनी वजह 

कृषि निर्यात घटने से एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट में गिरावट, चावल-चीनी, गेहूं और प्याज एक्सपोर्ट बैन बनी वजह 

पिछले साल भारत ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कुछ कृषि उत्पादों के निर्यात को बैन किया था. इनमें गैर बासमती चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसे आइटम्स शामिल थे. इससे 2023-24 में एग्री एक्सपोर्ट में गिरावट आई है, इसके नतीजे में कृषि विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है.

अब केला, आम, आलू और बेबी कार्न समेत 20 कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा.
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Apr 25, 2024,
  • Updated Apr 25, 2024, 1:23 PM IST

महंगाई को कंट्रोल करने के उपायों से सरकार को भी राजस्व में कमी का नुकसान उठाना पड़ रहा है. बीते साल देश में खाद्य पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए कई कृषि उत्पादों के निर्यात को बैन किया गया था. इससे 2023-24 में एग्री एक्सपोर्ट में गिरावट आई है जिसमें लाल सागर संकट और भूराजनीतिक तनाव का भी बड़ा रोल है. एग्री एक्सपोर्ट कम होने से कृषि विकास दर में गिरावट दर्ज की गई है.

पिछले साल भारत ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कुछ कृषि उत्पादों के निर्यात को बैन किया था. इनमें गैर बासमती चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसे आइटम्स शामिल थे. दरअसल, 2022 में महंगाई के तांडव मचाने के बाद सरकार ने बीते साल देश में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए कड़ी मेहनत की थी. इसमें आयात को सस्ता करने से लेकर दाम में बढ़ोतरी रोकने के लिए निर्यात पर रोक लगाना तक शामिल था. सरकार के इन कदमों से देश में महंगाई को काबू करने में काफी मदद मिली थी. 

चावल-गेहूं-चीनी और प्याज निर्यात रोका गया 

सस्ते आयात ने जहां खाद्य तेलों के दाम घटाने में मदद की वहीं चावल-गेहूं के एक्सपोर्ट को रोकने से इनके दाम भी काबू में बने रहे. लेकिन, इसके असर से देश का कृषि निर्यात कारोबारी साल 2023-24 में अप्रैल से फरवरी के दौरान 8.8 फीसदी घटकर 43.7 अरब डॉलर पर आ गया. 2022-23 की अप्रैल-फरवरी अवधि में कृषि एक्सपोर्ट 47.9 अरब डॉलर रहा था. निर्यात घटने की वजहों में गैर बासमती चावल, गेहूं, चीनी और प्याज जैसे सामानों के एक्सपोर्ट पर रोक के साथ ही लाल सागर संकट और रूस-यूक्रेन युद्ध शामिल रहे.

एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट में कमी आई 

कृषि एक्सपोर्ट में गिरावट आने से कृषि की विकास दर में भी कारोबारी साल 2023-24 के दौरान गिरावट दर्ज की गई है. आंकड़ों के मुताबिक देश के कृषि सेक्टर का बीते कारोबारी साल में ग्रोथ रेट महज 0.7 परसेंट रहा. जबकि, 2022-23 में कृषि की विकास दर 4.7 फीसदी थी.

एपीडा लिस्टेड प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट घटा 

एग्री और प्रोसेस्ड फूड उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण यानी एपीडा के निर्यात आंकड़ों पर नजर डालें तो इसकी 'बास्केट' में 719 लिस्टेड कृषि उत्पादों का निर्यात अप्रैल 2023 से फरवरी 2024 के 11 महीनों के दौरान 6.85 फीसदी घटकर 22.4 अरब डॉलर रहा. जबकि, अप्रैल-फरवरी 2022-23 में ये 24 अरब डॉलर था. बास्केट में शामिल 24 प्रमुख सामानों में से 17 में इस दौरान बढ़ोतरी दर्ज की गई. इनमें ताजे फल, भैंस का मांस, प्रोसेस्ड सब्जियां, बासमती चावल और केला शामिल हैं. दाम के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात 22 परसेंट बढ़कर अप्रैल-फरवरी 2023-24 में 5.2 अरब डॉलर रहा. जबकि अप्रैल-फरवरी 2022-23 में ये 4.2 अरब डॉलर था

सरकार 20 प्रोडक्ट का निर्यात बढ़ाने की योजना बना रही 

अब सरकार केला, आम, आलू और बेबी कार्न समेत 20 कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार कर रही है. वाणिज्य विभाग के मुताबिक इनमें से हरेक उत्पाद के लिए योजना अगले 3 से 4 महीनों में तैयार होने का भरोसा है, जिन 20 उत्पादों की पहचान की गई है उनका 2022 में वैश्विक व्यापार 405.24 अरब डॉलर था जिसमें भारत का निर्यात महज 9.03 अरब डॉलर था. इससे उम्मीद है कि मौजूदा कारोबारी साल यानी 2024-25 में एग्री एक्सपोर्ट में तेजी आ सकती है. (आजतक ब्यूरो)

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