नांदेड़ जिला प्रशासन ने बैल पोला त्योहार के दौरान जिले के सभी तहसीलों में मवेशियों के इकट्ठा होने पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंकि लंपी रोग संक्रमण से फैलता है. इसके चलते मशहूर बैल पोला त्योहार इस साल खेतों में मनाया गया है.
हर साल किसान पोला त्यौहार अच्छे से मनाते हैं लेकिन इस बार लंपी के प्रभाव से यह फीका हो गया. साल भर खेतों में काम करने वाले बैलों को स्नान करवाकर, सजाकर, उनकी तिलक लगाकर पूजा करके और पूरन पोली खिलाकर इसका जश्न मनाया जाता है.
खेती में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले जानवर बैल को सम्मान देने के लिए उनकी पूजा करने के लिए इस दिन को मानते हैं.
पोला त्योहार के दिन लंपी की वजह से किसान के एक बैल ने दम तोड़ दिया. उसके बाद गांव के लोगों ने बैल को सजाया और गाजे-बाजे के साथ शवयात्रा निकालकर खेत में दफन कर दिया. कुल मिलाकर इस बार यह त्योहार फीका रहा.
बैल पोला त्योहार के दौरान जिले के सभी तहसीलों में मवेशियों के इकट्ठा होने पर सख्ती से प्रतिबंध लगा दिया गया था. जिला कलेक्टर अभिजीत राउत ने आदेश जारी किया था कि सभी पशुपालक और किसान 14 सितंबर को खेत में बैल पोला त्योहार मनाएं.
लंपी से छह माह में 6500 पशु संक्रमित हुए हैं जबकि 751 पशुओं की मौत हुई है. अभी 1233 पशुओं का इलाज चल रहा है. जिनमें से 15 पशु गंभीर हैं, बताया गया है कि लंपी रोग से पीड़ित 5700 पशु ठीक हो चुके हैं.