रोगों को पनपने नहीं देती है गेहूं की ये नई किस्म, किसानों को 145 दिन में मिलेगी 63 क्विंटल पैदावार

रोगों को पनपने नहीं देती है गेहूं की ये नई किस्म, किसानों को 145 दिन में मिलेगी 63 क्विंटल पैदावार

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने हाल ही में अधिक उपज देने वाली नई गेहूं बीज किस्म HD 3386 पेश की है. रबी सीजन में यूपी समेत कई राज्यों में इसे बुवाई के लिए इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है. यह गेहूं में लगने वाले रोग लीफ रस्ट और येलो रस्ट को पनपने नहीं देती है और उसे खत्म करने की क्षमता रखती है.

गेहूं की HD3386 किस्म 145 दिन में तैयार हो जाती है.गेहूं की HD3386 किस्म 145 दिन में तैयार हो जाती है.
रिजवान नूर खान
  • New Delhi,
  • Sep 22, 2024,
  • Updated Sep 22, 2024, 5:08 PM IST

रबी सीजन के लिए गेहूं बुवाई की तैयारी कर रहे किसानों के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने गेहूं की उन्नत किस्म Pusa Wheat 3386 या HD3386 किस्म पेश की है. यह किस्म गेहूं के पत्ती धब्बा रोग और पीला धब्बा रोग से लड़ने में सक्षम है, जिसके चलते इसकी उपज अधिक होती है और रोगों-कीटों की रोकथाम पर खर्च होने वाली लागत बच जाती है. गेहूं की HD3386 किस्म 145 दिन में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 63 क्विंटल से अधिक पैदावार देती है. IARI नए उत्तर प्रदेश, पंजाब समेत कई राज्यों के किसानों को रबी सीजन में इस किस्म की बुवाई करने की सलाह दी है. 

रोगों को खत्म करने की क्षमता के चलते उपज ज्यादा 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने हाल ही में अधिक उपज देने वाली नई गेहूं बीज किस्म HD 3386 पेश की है. रबी सीजन के लिए सिंचित और समय पर बोई गई स्थितियों के लिए यह पूसा गेहूं 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म सही है. यह गेहूं में लगने वाले रोग लीफ रस्ट और येलो रस्ट को पनपने नहीं देती है और खुद ही उसे खत्म करने की क्षमता रखती है. इन दोनों रोगों में गेहूं की पत्ती और तने में धब्बा रोग लग जाता है, जो पौधे का विकास रोक देता है. इससे उपज प्रभावित होती है. यह नई किस्म इन दोनों रोगों को पनपने नहीं देती है. 

यूपी-पंजाब समेत 8 राज्यों में बुवाई की सलाह 

IARI दिल्ली के कृषि वैज्ञानिकों ने पूसा गेहूं 3386 किस्म को पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान , पश्चिमी उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों, हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों ऊना जिला और पांवटा घाटी और उत्तराखंड तराई क्षेत्र में बुवाई के लिए उपयुक्त बताया है. जबकि, राजस्थान के कोटा और उदयपुर डिवीजन में  और यूपी में झांसी डिवीजन के साथ ही जम्मू के कठुआ जिले में इसकी बुवाई के लिए सलाह नहीं दी गई है. 

145 दिन में 63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलेगी 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार पूसा गेहूं 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म 145 दिन में तैयार हो जाती है. इसमें आयरन 41.1 पीपीएम और जिंक 41.8 पीपीएम मात्रा भरपूर होती है. एक हेक्टेयर में उत्पादन की बात करें तो पूसा गेहूं 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म 63 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की पैदावार देती है. कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों से इस रबी सीजन में इसी किस्म की निर्धारित क्षेत्रों में बुवाई करने की सलाह दी है. 

पुरानी किस्म की जगह लेगी 3386 नई किस्म 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार पूसा गेहूं 3386 (Pusa Wheat 3386) किस्म एचडी 2967 (Pusa Wheat 2967) किस्म की जगह ली है.  Pusa Wheat 2967 किस्म को  2010 में IARI ने ही विकसित किया था. इस किस्म को पिछले सीजन में देश में 340 लाख हेक्टेयर के कुल बोए गए गेहूं क्षेत्र के लगभग 25 फीसदी एरिया में बोया गया था. Wheat 2967 किस्म की उज 22 क्विंटल प्रति एकड़ है, जबकि नई किस्म पूसा गेहूं 3386 की उपज 25 क्विंटल प्रति एकड़ है.

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