3 तरह से करें जीवाणु खाद का प्रयोग तो पैदावार की नहीं होगी कमी, पैसे भी बचेंगे

3 तरह से करें जीवाणु खाद का प्रयोग तो पैदावार की नहीं होगी कमी, पैसे भी बचेंगे

जैव उर्वरक यानी जीवाणु खाद एक प्रकार का प्राकृतिक उर्वरक है जो सूक्ष्मजीवों से बनाया जाता है. यह उर्वरक पर्यावरण के लिए अच्छा है और इसका उपयोग कृषि, बागवानी, बागवानी और पौधों के पालन में किया जाता है.

जीवाणु खाद का प्रयोगजीवाणु खाद का प्रयोग
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Sep 04, 2024,
  • Updated Sep 04, 2024, 5:14 PM IST

जैव उर्वरक या जीवाणु उर्वरक जीवित सूक्ष्म जीवों के समूह से बना एक प्रकार का खाद होता है. इसमें मौजूद सूक्ष्म जीव वातावरण से नाइट्रोजन को सोंखते हैं और पौधों को उपलब्ध कराते हैं और मिट्टी में मौजूद फास्फोरस को पानी में घुलने में मदद कर पौधों तह पहुंचाते हैं. इससे पौधों का विकास होता है और साथ ही उपज भी अच्छी होती है. यह उपज के साथ-साथ क्वालिटी को भी बढ़ाता है.

क्या है जीवाणु खाद

  • जीवाणु खाद के उपयोग से फसल के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ जाती है, जिससे रासायनिक खादों की बचत होती है.
  • पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने के साथ-साथ ये कुछ ऐसे रसायन भी छोड़ते हैं जो पौधों की वृद्धि के लिए फायदेमंद होते हैं.
  • जीवाणु खाद रासायनिक उर्वरकों की तुलना में बहुत सस्ते होते हैं, जिससे फसल उत्पादन की लागत कम हो जाती है.
  • जैविक उर्वरकों के उपयोग से फसलों में मिट्टी जनित रोग कम होते हैं.
  • जैविक उर्वरकों यानी जीवाणु खाद से खेत में लाभदायक सूक्ष्मजीवों की संख्या बढ़ती है.
  • जैविक उर्वरक पर्यावरण को सुरक्षित रखते हैं.

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जीवाणु खाद का इस्तेमाल

बीज उपचार विधि: इस विधि में सबसे पहले आधा लीटर पानी में 50-100 ग्राम चीनी या गुड़ का घोल बना लें. अब इस घोल में 200 ग्राम जैव उर्वरक अच्छी तरह मिला लें. फिर इस मिश्रण को धीरे-धीरे 10-15 किलोग्राम बीजों के ढेर पर डालें और हाथों से मिला लें ताकि जैव उर्वरक बीजों पर अच्छी तरह और समान रूप से चिपक जाए. अब उपचारित बीजों को छाया में सुखाने के बाद तुरंत बुवाई कर दें. 

जड़ उपचार विधि: रोपाई की गई फसलों में जड़ उपचार के माध्यम से जैविक खाद का उपयोग किया जाता है. इसमें पहले की तरह 20-25 लीटर पानी में 4 किलोग्राम जैव उर्वरक का घोल बना लें. एक हेक्टेयर के लिए पर्याप्त पौधों की जड़ों को 25-30 मिनट तक उपरोक्त घोल में डुबोया जाता है. उपचारित पौधों को छाया में रखा जाता है और जल्द से जल्द रोपाई की जाती है.

मृदा उपचार: इस विधि में एक हेक्टेयर भूमि के लिए 200 ग्राम जैविक खाद के 25 पैकेट की आवश्यकता होती है. मृदा उपचार के लिए 5 किलोग्राम जैविक खाद को 50 किलोग्राम मिट्टी या कंपोस्ट में अच्छी तरह मिलाकर मिश्रण तैयार कर लें. इस मिश्रण को बुवाई के समय या बुवाई से 24 घंटे पहले एक हेक्टेयर क्षेत्र में समान रूप से फैला दिया जाता है. इसे बुवाई के समय सीधे गड्ढों में भी डाला जा सकता है.

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