पपीते की इन किस्मों की खेती कर उत्पादन करें ज्यादा पपेन, कमाएं एक सीजन में लाखों रुपए

पपीते की इन किस्मों की खेती कर उत्पादन करें ज्यादा पपेन, कमाएं एक सीजन में लाखों रुपए

पपीते के हर फलों से प्राप्त दूधिया लेटेक्स में पपेन प्रोटीयोताइटिक एंजाइम (papain proteolytic enzyme) होता है. यह कच्चे, लेकिन परिपक्व पपीते के फलों से निकलने वाले दूध को सुखाकर बनाया जाता है.

papain proteolytic enzymepapain proteolytic enzyme
क‍िसान तक
  • Noida ,
  • Nov 11, 2022,
  • Updated Nov 11, 2022, 12:12 PM IST

फलों में पपीता का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है. भारत के अधिकांश हिस्सों में इसकी खेती की जाती है. यह फल कच्चा और पकाकर दोनों तरीकों से उपयोग में लाया जाता है. पपीते में भरपूर मात्रा में विटामिन-ए पाया जाता है. जिन लोगों को अपच की समस्या होती है, उनके लिए पपीता रामबाण इलाज है. दरअसल, इसके सेवन से अपच की समस्या खत्म हो जाती है और भोजन के प्रति रुचि उत्पन्न होती है. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट भी पपीता खाने की सलाह देते हैं.

पपीता में पर्याप्त मात्रा में पानी पाया जाता है. जो त्वचा को नम रखने में सहायक होता है. इसके अलावा पपीते का इस्तेमाल घरेलू प्रसाधन में भी किया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं पपीते की खेती से कैसे लाभ कमा सकते हैं-

पपीते के फलों से पपेन की प्राप्ति 

पपीते के हर फलों से प्राप्त दूधिया लेटेक्स में पपेन प्रोटीयोताइटिक एंजाइम (Papain Proteolytic Enzyme) होता है. यह कच्चे, लेकिन परिपक्व पपीते के फलों से निकलने वाले दूध को सुखाकर बनाया जाता है. पपेन (Papain) उत्पादन के लिए किसान भाइयों को अनुशंसित पपीते के किस्मों की खेती करनी चाहिए. वहीं पपेन उत्पादन के लिए विशेष रूप से फलों की अवस्था का ध्यान रखना होता है, जिस समय उससे अधिक से अधिक पपेन प्राप्त किया जा सके. 

पपेन (Papain) का ज्यादातर निर्यात किया जाता है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी काफी मांग भी है. इसका उपयोग मुख्य रूप से मांस को मुलायम करने, च्युइंग गम बनाने, सौन्दर्य प्रसाधन के सामान बनाने, त्वचा के दाग दूर करने और अनेक औषधि निर्माण आदि में किया जाता है.

पपीते से पपेन कैसे निकालें?

पपेन उत्पादन के लिए पौधों में लगने वाले फल जब 2-3 माह के हो जाएं तब उन फलों पर लम्बाई में 3-4 चीरे लगायें. चीरे की कट की गहराई 0.3 सेमी से अधिक नहीं होनी चाहिए. एक ही फल पर 4 दिन के अंतराल पर दोबारा चीरा लगाना चाहिए. लेटेक्स को एल्यूमीनियम ट्रे में एकत्र कर छाया में सुखाना चाहिए. सूखे लेटेक्स को फिर पॉलिथीन की थैलियों में पैक कर देना चाहिए. गौरतलब है कि सूखने से पहले बेहतर रंग और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए लेटेक्स में पोटेशियम मेटा-बाय-सल्फेट 0.05 फीसदी मिलाना चाहिए. लेटेक्स को 50-55 डिग्री के तापमान पर ओवन में भी सुखाया जा सकता है.

पपेन निकालने का समय

अधिकतम पपेन (papain) प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि पपेन सूर्य निकलने से पूर्व ही निकाल देना चाहिए. वैसे सुबह 6-9 बजे के बीच पपेन निकालना भी ठीक रहता है. वहीं, एक पौधे से तीन वर्षों तक पपेन उत्पादन किया जा सकता है. पहले साल एक पौधे से 500-600 ग्राम पपेन पौदा किया जा सकता है.

पपेन की उपयुक्त किस्में

पपेन उत्पादन किस्मों के लिए CO.-2, CO.-4, CO.-5, वाशिंगटन, कूर्ग हनीड्यू, पूसा मैजेस्टी और पूसा स्वादिष्ट आदि किस्मों को लगा सकते हैं.

MORE NEWS

Read more!