भारत में सरसों की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और यह किसानों की आय का एक प्रमुख स्रोत है. परंपरागत खेती की तुलना में अब जैविक खेती को अधिक महत्व दिया जा रहा है, क्योंकि इससे मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहती है और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता. जैविक खेती में रासायनिक खाद और कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता है. सरसों की खेती भी जैविक तरीकों से की जा सकती है, जिसमें लहसुन और नीम जैसे घरेलू उपायों से फसल को रोगों और कीटों से बचाया जा सकता है.
सही मिट्टी और खेत की तैयारी
- सरसों की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो. जैविक खेती की शुरुआत खेत की तैयारी से होती है.
- बुआई से 10 दिन पहले जैविक खाद (जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट या नीम की खली) को खेत में समान रूप से बिखेरकर मिट्टी में मिला दें.
- इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों की जड़ों को पोषण अच्छे से मिलता है.
ये भी पढ़ें: गुजरात में कई इलाकों में बेमौसम बारिश जारी, बाजरा, मूंग और मक्का की फसलों को पहुंचा भारी नुकसान
बीज की मात्रा और बोने की विधि
- एक हेक्टेयर खेत के लिए 4 से 5 किलोग्राम सरसों के बीज पर्याप्त होते हैं.
- बीजों को पंक्तियों में 30-45 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए.
- हर पौधे के बीच 10 सेमी की दूरी रखें, ताकि उन्हें बढ़ने की पूरी जगह मिल सके.
- इस विधि से पौधे हवा और धूप का पूरा लाभ ले पाते हैं, जिससे फसल अच्छी होती है.
गलन रोग से बचाव के लिए प्रयोग
- गलन रोग एक आम समस्या है, जो अंकुरित होते ही पौधों को नुकसान पहुंचाती है. इसका असर सीधे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर पड़ता है.
- इस रोग से बचाव के लिए लहसुन का 2% अर्क बहुत प्रभावी होता है.
- बीजों को बोने से पहले लहसुन के अर्क में डुबोकर उपचारित करें.
- यह प्राकृतिक उपाय बीजों को रोगों से सुरक्षित करता है और अंकुरण दर बढ़ाता है.
ये भी पढ़ें: अब सारे धरना प्रदर्शन और किसान आंदोलन बंद...राकेश टिकैत ने ऐसा क्यों किया ऐलान?
जैविक कीट नियंत्रण के उपाय
- जैविक खेती में कीटनाशकों की जगह प्राकृतिक विकल्पों का उपयोग किया जाता है.
- कीटों को नियंत्रित करने के लिए परजीवी कीटों के इंसेक्ट कार्ड खेत में लगाएं.
- प्रति हेक्टेयर 3-4 कार्ड पर्याप्त होते हैं.
- इसके अलावा, फसल बोने के 50-70 दिन बाद नीम के तेल का छिड़काव करें.
- नीम का तेल एक प्राकृतिक कीटनाशक है जो कीटों को दूर भगाता है और फसल को बिना नुकसान पहुंचाए सुरक्षा देता है.