देश सहित बिहार में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है.बिहार में करीब 22 लाख हेक्टेयर में खेती होती है.गेहूं बुआई के लिए सही समय नवंबर महीना है.लेकिन कई जिलो में धान की फसल नहीं कटने से दिसंबर महीने तक गेहूं की बुआई होती है. पछेती गेहूं बुआई के दौरान उपज पर असर न हो.इसके लिए किसानों को कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.अगर किसान पछेती गेहूं की बुआई करके अच्छा उपज लेना चाहते हैं.उनके लिए यह खबर पढ़ना बेहद जरूरी है.
कृषि विज्ञान केंद्र बाढ़ पटना के कृषि वैज्ञानिक डॉ विष्णु देव सिंह कहते हैं कि पछेती गेहूं की बुआई करने के बाद भी ज्यादा उपज किसान लेना चाहते हैं. तो वह कम अवधि में अधिक उपज देने वाले उन्नत बीजों का चयन करें. इसके साथ ही कृषि यंत्र की मदद से बीज की बुवाई करें.क्योंकि छिटकवां विधि की तुलना में कम बीज लगता है और पैदावार भी बढ़िया होता है. इस साल कई जिलों में समय से बारिश नहीं होने से प्रदेश में 35 लाख हेक्टेयर धान कि खेती के लक्ष्य की तुलना में मात्र 30.72 लाख हेक्टेयर में ही धान कि खेती हुई है.
कृषि वैज्ञानिक डॉ सिंह के अनुसार पछेती गेहूं की बुआई दिसंबर महीने के शुरुआत से 25 दिसंबर तक होती है.उस दौरान किसानों को 105 से115 दिन अवधि वाले गेहूं के बीज खरीदने चाहिए.जिसमें सबौर श्रेष्ठ,एच.डी 3118,डी.बी.डब्लू 107,एच.आई 1563,एच.डी 2985,डब्लू.आर 544 ,राज 3765 और डी. बी. डब्लू 14 है.यह इन बीजों की बुआई150 किलो प्रति हेक्टेयर करनी चाहिए. वहीं इसका प्रति हेक्टेयर उत्पादन 35 से 45 क्विंटल है.पछेती गेहूं की बुआई छिटकवां विधि की तुलना में हैप्पी सीडर,सुपर सीडर,सीड ड्रिल से करनी चाहिए. और खूड़ से खूड़ की दूरी करीब 18 सेंटीमीट रखनी चाहिए.
गेहूं की बिलंब से बुआई के समय प्रति हेक्टेयर 87 कि.ग्रा डी.ए.पी, 96 कि.ग्रा यूरिया और 33 कि.ग्रा म्यूरेट आफ पोटाश और एन.पी.के की मात्रा 120 :40 20 होनी चाहिए. वहीं 130 कि.ग्रा यूरिया प्रथम सिंचाई के समय उपरिवेशित करना चाहिए .
बुआई के पूर्व बीज की अंकुरण क्षमता की जाँच अवश्य कर लेनी चाहिए. बीज यदि उपचारित नहीं है तो बुआई से पूर्व कीड़ा की समस्या को खत्म करने के लिए 12 घंटे पहले क्लोरोपाइरीफास 6 से 8 ML प्रति किलो बीज में मिलाकर उपचारित कर लेना चाहिए. बोने से पूर्व बीज को फफूंदनाशक दवा वीटावैक्स या वैविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करने के बाद ही बोना चाहिए.
किसान गेहूं की बुआई नक्षत्र के अनुसार भी करते हैं. वहीं एक कहावत है कि 'चित्रा गेहूं स्वाति भूसा,अनुराधा में नाज न भूसा' यानि कि चित्रा नक्षत्र में गेहूं बोने से अच्छी फसल होती है. स्वाति में बोने से भूसा अधिक होता है. परंतु अनुराधा नक्षत्र में अन्न या भूसा कुछ भी नहीं होता है. सत्ताईस नक्षत्रों में चित्रा चौदहवां,स्वाती पन्द्रहवां और अनुराधा सत्रहवां नक्षत्र है.
वहीं गेहूं कि फसल में निकाई-गुड़ाई और खरपतवार प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है. प्रबंधन नहीं करने से उपज में 10 से 40 प्रतिशत तक कमी हो जाती है.पछेती गेहूं की पहली सिंचाई बुआई के 21 दिन बाद ,दूसरा दानों में दूध भरते समय और दाना बनते समय पानी देना चाहिए.