Knowledge: क्या नरमा पर हो गया गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन रोग का प्रकोप? ऐसे करें बचाव

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Knowledge: क्या नरमा पर हो गया गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन रोग का प्रकोप? ऐसे करें बचाव

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नरमा की फसल के सबसे बड़े दुश्मन गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन रोग को माना जाता है. ये दो बीमारियां नरमा को भारी नुकसान पहुंचाती हैं. हरियाणा और पंजाब के किसान इन दोनों बीमारियों से सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि उनकी महंगी फसल का नुकसान होता है. किसानों को इस समस्या से निजात दिलाने के लिए हिसार स्थित हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने कृषि प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया है. इसमें किसानों को बताया जा रहा है कि वे नरमा फसल को इन दो बड़ी बीमारियों से कैसे बचा सकते हैं.

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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. एसके पाहुजा ने बताया कि कपास अनुभाग समय-समय पर नरमा फसल की एडवाइजरी जारी करता है जिसका  पालन करके किसान नरमा फसल की अच्छी पैदावार ले सकते हैं.  उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों की ओर से कपास फसल के लिए कीट संबंधी महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं. किसान इन सुझावों पर गौर करके नरमा फसल को गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन रोग से बचा सकते हैं.

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किसान नरमा फसल में गुलाबी सुंडी की निगरानी के लिए दो फेरोमॉन ट्रैप प्रति एकड़ लगाएं या साप्ताहिक अंतराल पर कम से कम 150-200 फूलों का निरीक्षण करें. टिंडे बनने की अवस्था में 20 टिंडे प्रति एकड़ के हिसाब से तोड़कर, उन्हें फाड़कर गुलाबी सुंडी का निरीक्षण करें. 12-15 गुलाबी सुंडी प्रौढ़ प्रति ट्रैप तीन रातों में या पांच से दस प्रतिशत फूल या टिंडा ग्रसित मिलने पर कीटनाशकों का प्रयोग करें.

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किसान अपनी नरमा फसल को देखें और पता करें कि सुंडी या टिंडा गलन रोग का कितना प्रकोप है. ठीक से परीक्षण करने के बाद किसान कीटनाशकों में प्रोफेनोफॉस  50 ईसी की 3 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी या क्यूनालफॉस  25 ईसी की 3 से 4 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. सफेद मक्खी और हरा तेला का प्रकोप होने पर फलोनिकामिड 50 डब्ल्यूजी 60 ग्राम या एफिडोपायरोप्रेन 50 जी/एल की 400 मिली मात्रा प्रति एकड़ का छिड़काव करें.

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नरमा फसल में जड़ गलन रोग के प्रबंधन के लिए कार्बन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी को पौधों की जड़ों में डालें. टिंडा गलन के प्रबंधन के लिए कॉपर आक्सीक्लोराइड की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. इन दवाओं के प्रयोग से किसान नरमा फसल को गलन रोग और गुलाबी सुंडी से बचा सकते हैं. यह काम समय रहते करना होगा, वरना पैदावार में बड़ी कमी देखी जा सकती है.
 

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कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि नरमा फसल में बरसात के बाद पानी की निकासी का प्रबंध करें. पहले खाद नहीं डाली है तो अब निराई गुड़ाई के साथ एक बैग प्रति एकड़ की बीजाई करें. अगर डीएपी पहले डाल चुके हैं तो आधा कट्टा यूरिया प्रति एकड़ डालें. इन उपायों से किसान अपनी नरमा फसल को गुलाबी सुंडी और टिंडा गलन रोग से बचा सकते हैं. बचाव के ये उपाय किसानों को भारी नुकसान से बचा सकते हैं.

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हरियाणा से लगे पंजाब में कपास पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप देखा जा रहा है. इसके बाद कृषि विभाग की टीम ने सर्वे का काम शुरू कर दिया है. हरियाणा में भी गुलाबी सुंडी का अटैक बड़ी समस्या है. किसान इस रोग से इतने परेशान हैं कि उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के कार्यक्रम में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. किसानों ने कहा है कि वे सीएम सैनी की जनसभा का बहिष्कार करेंगे.