Crops damage: बेमौसम बारिश से आलू, सरसों की फसल को हुआ भारी नुकसान , झुलसा रोग का भी खतरा

Crops damage: बेमौसम बारिश से आलू, सरसों की फसल को हुआ भारी नुकसान , झुलसा रोग का भी खतरा

बेमौसम बारिश से किसानों को कहीं ज्यादा तो कहीं कम नुकसान हुआ है जिन खेतों में पानी  भरा हुआ है. वहां फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आलू, सरसों की फसल को इस बारिश से ज्यादा नुकसान है. वही आलू के खेत में पानी भरा रहा तो इससे झुलसा रोग भी लग सकता है जबकि सरसों में फूल गिर जाने से उत्पादन प्रभावित होगा.

धर्मेंद्र सिंह
  • Lucknow ,
  • Dec 07, 2023,
  • Updated Dec 07, 2023, 10:27 AM IST

बेमौसम बारिश से किसानों को कहीं ज्यादा तो कहीं कम नुकसान हुआ है जिन खेतों में पानी भरा हुआ है. वहां फसलों को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि आलू, सरसों की फसल को इस बारिश से ज्यादा नुकसान है. वही आलू के खेत में पानी भरा रहा तो इससे झुलसा रोग भी लग सकता है जबकि सरसों में फूल गिर जाने से उत्पादन प्रभावित होगा. 30 से 35 दिन पहले बोया गया गेहूं के लिए यह बारिश फायदेमंद है. वही ऐसे किसान भी है जो अभी गेहूं बोने की तैयारी कर रहे हैं उनके लिए इस बारिश से काफी नुकसान पहुंचाया है. मौसम वैज्ञानिक पहले से ही बारिश की संभावना जता रहे थे.ऐसे में रविवार और सोमवार को हुई बारिश से रबी की फसलों को नुकसान पहुंचा है.

आलू और सरसों की फसल को पहुंचा नुकसान

बेमौसम बारिश की वजह से सरसों के फूल गिरने से जहां उत्पादन प्रभावित होगा. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश दुबे ने बताया कि चना, मटर की फसल में अभी फूल नहीं आए हैं. इसलिए इन फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा जबकि आलू और सरसों की फसल को नुकसान पहुंचा है. वहीं कहीं-कहीं अरहर की फसल भी गिर गई है जिससे पैदावार प्रभावित होने की आशंका है. गेहूं की बुवाई कर चुके किसान भी फसल को नुकसान को लेकर चिंतित है. किसान दयाराम ने बताया कि उनके गांव में नहरों में पानी न होने के कारण इस बार बुवाई में देरी हुई है. ऐसे में बारिश ने फसलों को नुकसान पहुंचा है. तेज हवाओं के साथ हुई बारिश से सरसों की फसल कहीं-कहीं गिर गई है.

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आलू को झुलसा रोग का खतरा

कृषि वैज्ञानिक के अनुसार आलू के खेतों में जल भराव के चलते झुलसा रोग का खतरा भी पैदा हो गया है. किसान जल निकासी का जल्दी प्रबंध करें जिससे कि जड़ों को सड़ने से बचाया जा सके.कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश दुबे ने बताया कि आलू की फसल को अगेती एवं पछेती झुलसा रोग से बचाने के लिए जिंक मैगनीज कार्बामेंट 2.0 से 2.5 किग्रा को 800 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से पहला रक्षात्मक छिड़काव बुआई के 30-45 दिन बाद अवश्य किया जाए. रोग को नियंत्रित करने के लिए दूसरा एवं तीसरा छिड़काव कापर आक्सीक्लोराइड 2.5 से 3.0 किग्रा अथवा जिंक मैगनीज कार्बामेंट 2.0 से 2.5 किग्रा में से किसी एक रसायन का चयन कर 800-1000 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हेक्टेयर की दर से 10-12 दिनों के अंतर पर छिड़काव करें।

बारिश से भीग गया किसानों का धान

कानपुर देहात में सरकारी करें केंद्र पर रखा हुआ किसानों का धान बारिश की वजह से भी भीग गया. किसानों के द्वारा धान की तौल नहीं कराई गई थी. ज्यादातर के केंद्र पर धान के सेड फुल हो गए हैं. वहीं अकबरपुर क्रय केंद्र पर खुले में धान खरीद रखा जा रहा है. बारिश होने पर सरकारी धन भी भीग गया जिला खाद्य विपणन अधिकारी राघवेंद्र सिंह ने बताया करे केन्द्र पर सरकारी धान को भीगने से बचने के लिए त्रिपाल से सुरक्षित किया गया है. किसानों ने भी धान को ढक दिया है.

 

 

 

 

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