ओडिशा के 'मशरूम मिलेनियर' संतोष मिश्रा, सिर्फ 36 रुपये से शुरू किया बिजनेस, आज हैं करोड़पति 

ओडिशा के 'मशरूम मिलेनियर' संतोष मिश्रा, सिर्फ 36 रुपये से शुरू किया बिजनेस, आज हैं करोड़पति 

ओडिशा के रहने वाले संतोष मिश्रा उन तमाम लोगों के लिए मिसाल हैं जो इस बात पर यकीन करते हैं कि थोड़े से प्रयास और प्रतिबद्धता से मामूली शुरुआत से बड़ी सफलता मिल सकती है.  संतोष, पुरी के पिपली में कलिंगा मशरूम सेंटर के मालिक हैं जो उन्‍होंने सिर्फ 36 रुपए से शुरू किया था.

ओडिशा के मशरूम मिलेनियर संतोष मिश्रा ओडिशा के मशरूम मिलेनियर संतोष मिश्रा
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Feb 27, 2024,
  • Updated Feb 27, 2024, 11:24 AM IST

ओडिशा के रहने वाले संतोष मिश्रा उन तमाम लोगों के लिए मिसाल हैं जो इस बात पर यकीन करते हैं कि थोड़े से प्रयास और प्रतिबद्धता से मामूली शुरुआत से बड़ी सफलता मिल सकती है.  संतोष, पुरी के पिपली में कलिंगा मशरूम सेंटर के मालिक हैं. यह मशरूम सेंटर इस क्षेत्र में रचनात्मकता और दृढ़ता का प्रतीक है. दंडमुकुंद पुर गांव के मूल निवासी और बीजेबी कॉलेज से ग्रेजुएट संतोष की तरफ से इस सेंटर की स्‍थापना ने क्षेत्र में मशरूम खेती के स्‍वरूप को बदलकर रख दिया है. संतोष को अपनी यात्रा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. दरअसल अपनी पढ़ाई में सर्वश्रेष्‍ठ होने के बाद भी उनके सामने वित्‍तीय बाधाएं थी. इस वजह से वह अपनी पढ़ाई जारी नहीं रख सके. मगर ये मुश्किलें भी उन्‍हें आगे बढ़ने से रोक नहीं सकी थीं. 

कौन हैं संतोष मिश्रा?

सन् 1989 में संतोष  भुवनेश्वर में,  ओडिशा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (ओयूएटी) में मशरूम खेती प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुए थे. उनके पास जमापूंजी के नाम पर सिर्फ 36 रुपए की पूंजी थी. इस विकल्प ने एक अविश्वसनीय उद्यमशीलता साहसिक कार्य की शुरुआत का संकेत दिया. संतोष ने ओयूएटी वैज्ञानिकों से मार्गदर्शन मांगा क्योंकि वह मशरूम उगाने में आने वाली तकनीकी कठिनाइयों से अवगत थे और अत्यधिक नमी, फंगल संदूषण और खराब रोशनी जैसी समस्याओं का समाधान करना चाहते थे.  

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पिता के पैसे से शुरू हुआ बिजनेस 

संतोष ने एक शेड में 100 बिस्तरों से शुरुआत की और अपने पिता से पैसे उधार लेकर इसके लिए धन जुटाया. मई 1989 तक, उन्होंने 150 किलोग्राम मशरूम इकट्ठा कर लिया था.  संतोष के ने कॉलेज के पास कॉर्पोरेट ऑफिसेज में 120 रुपए में ऑयस्‍टर मशरूम को बेचा और यह उनकी पहली उल्लेखनीय बिक्री थी. यह बस एक छोटी सी शुरुआत थी जो सफल रही. उन्होंने बाद में 60000 रुपए के लोन के साथ अपने बिजनेस को 3000 बिस्तरों तक बढ़ाया. इससे उन्हें 1990 के दशक में 2550 रुपए से ज्‍यादा की रोजाना कमाई के साथ 'मशरूम करोड़पति' का खिताब भी मिला. 

अब मिल रही लोगों को ट्रेनिंग 

बेटर इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक संतोष मिश्रा, जो एक समय पढ़ाई जारी रखने में भी असमर्थ थे,  उन्होंने एक प्रसिद्ध मशरूम फार्म की स्थापना की, अब हर साल 10 लाख रुपए कमाते हैं. संतोष के केंद्र ने एक लाख से ज्‍यादा लोगों को मुफ्त में ट्रेनिंग दी है. इसमें महिलाओं से लेकर ऐसे लोगों पर खासा ध्‍यान दिया गया जिनके पास संसाधनों की कमी है. उनके सशुल्क प्रशिक्षण कार्यक्रमों से कई राज्यों में नौ लाख से ज्‍यादा लोगों को फायदा हुआ है. इन दिनों, कलिंगा मशरूम सेंटर ऑयस्टर और धान के भूसे के मशरूम उगाता है और एक दिन में दो हजार बोतल मशरूम स्पॉनिंग का उत्पादन करता हैः 

संतोष बने प्रेरणा 

इस समय संतोष अचार, नमकीन, मशरूम से बने आटे और बाकी उत्‍पादों को तैयार करने के लिए दो करोड़ रुपए की फूड प्रिजर्वेशन (खाद्य प्रसंस्करण) फैसिलिटी को विकसित कर रहे हैं. संतोष मिश्रा की कहानी कठिनाई पर विजय, सामुदायिक सशक्तिकरण और टिकाऊ खेती के तरीकों के विकास को भी बताती है. आर्थिक तंगी का सामना कर रहे एक छात्र से लेकर मशरूम उद्योग में एक प्रमुख व्यक्ति तक की उनकी दृढ़ता और रचनात्मकता की कहानी वास्तव में प्रेरणादायक है. 

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