Kheti Jugad: खेत में खाद डालने का बेहतरीन तरीका, बिना लेबर खर्च के हो जाएगा काम

Kheti Jugad: खेत में खाद डालने का बेहतरीन तरीका, बिना लेबर खर्च के हो जाएगा काम

देसी जुगाड़ की मदद से किसान अपना खर्च बचा सकते हैं. इसमें एक खर्च खाद छिड़काव का भी है. इस पर किसानों का भारी खर्च होता है, लेबर कॉस्ट में किसानों को हजारों रुपये देने होते हैं. लेकिन हम यहां देसी जुगाड़ से इस खर्च को बचा सकते हैं.

खेत में बिना किसी खर्च के पानी के साथ खाद का छिड़काव किया जा सकता हैखेत में बिना किसी खर्च के पानी के साथ खाद का छिड़काव किया जा सकता है
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 25, 2023,
  • Updated Jul 25, 2023, 6:04 PM IST

खेत में खाद डालना या छिड़कना बड़ा काम होता है. इस पर किसान का मोटा पैसा खर्च होता है. इस खर्च के बढ़ने से किसान की खेती की लागत बढ़ जाती है. लेकिन किसान चाहे तो देसी जुगाड़ लगाकर इस खर्च को कम कर सकता है. हम यहां ऐसे ही एक देसी जुगाड़ के बारे में बता रहे हैं जिसकी मदद से किसान खाद डालने का खर्च बिल्कुल जीरो कर सकता है. खास बात ये है कि इस देसी जुगाड़ की मदद से किसान अपने खेतों में आसानी से जीवामृत का छिड़काव कर सकते हैं. 

बिना किसी लेबर खर्च के खेतों में खाद डालने के लिए किसान को सीमेंट के दो हौज बनाने होंगे. एक हौज बड़ा और दूसरा छोटा. दोनों हौज को एक दूसरे से कनेक्ट करना होगा. बड़े हौज में पानी और छोटे हौज में किसान देसी खाद का कच्चा माल डाल सकते हैं. जैसे गाय का गोबर, गाय का गोमूत्र, गुड़, फस और सब्जियों के छिलके, पेड़-पौधों के बचे अंश, यहां तक कि सड़ी हुआ पत्तियां आदि. छोटे हौज में इन सभी कच्चे माल को डालने के बाद बीच-बीच में उसे मिलाते रहना चाहिए. किसान छोटे हौज में नीम के पत्ते भी डाल सकते हैं क्योंकि यह नीम खाद का काम करता है. इसके अलावा बागों में सड़कर गिरे फलों को भी इसमें डाला जा सकता है.

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खाद छिड़काव का देसी जुगाड़

अब सवाल है कि किसान इस देसी या जीवामृत खाद को खेत तक बिना खर्च के कैसे ले जा सकते हैं. इसके लिए किसान को बड़े हौज में ट्यूबवेल का पानी चलाना होता है. इससे बड़े हौज का पानी ओवरफ्लो होकर क्यारियों के जरिये खेत तक जाता है. इससे सिंचाई का काम होता है. इसी सिंचाई के पानी के साथ छोटे हौज में तैयार हुई खाद को भी क्यारियों के जरिये खेत में भेजा जाता है. इससे खाद पानी में मिलकर खेतों में पहुंच जाती है. पानी और खाद एकसाथ मिलकर खेतों में पहुंचती है. इसके लिए किसान से अलग से कोई परिश्रम नहीं करना पड़ता.

एक रुपया नहीं लगेगा लेबर खर्च

सबसे खास बात ये है कि हौज में जीवामृत या ऑर्गेनिक खाद समय के साथ तैयार होती रहती है और उसे बीच-बीच में सिंचाई के पानी के साथ खेतों में भेजा जाता है. खेत में खाद को पानी के साथ डाला जाए तो उसका फायदा अधिक होता है. इस देसी जुगाड़ में इसी बात का खयाल रखा गया है. इसमें एक हौज में खाद तैयार होती है जबकि दूसरे हौज का पानी सिंचाई के लिए इस्तेमाल होता है. दोनों को मिलाकर खेत में पहुंचा दें तो खाद और सिंचाई का काम एक साथ हो जाता है. किसान इस देसी जुगाड़ से खाद छिड़काव का पैसा आसानी से बचा सकते हैं. यहां तक कि उन्हें लेबर खर्च के नाम पर एक रुपया भी खर्च नहीं करना होगा.

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