आजकल जब लोग आयुर्वेद और प्राकृतिक उत्पादों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, शहद की मांग तेजी से बढ़ रही है. इस वृद्धि के साथ, शहद उत्पादन या मधुमक्खी पालन एक लाभकारी व्यवसाय बन चुका है, जो किसानों की आय में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है. मधुमक्खी पालन न केवल एक कम लागत वाला व्यवसाय है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग के लिए लाभकारी हो सकता है. कई लोग आज इसे अपना कर बेहतर आय प्राप्त कर रहे हैं. हालांकि, इस व्यवसाय पर मौसम का खास असर पड़ता है, और सर्दियों में विशेष देखभाल की जरूरत होती है. गोरखपुर के सफल मधुमक्खी पालक राजू सिंह,जो पिछले 30 साल से अधिक मधुमक्खी पालन के काम से जुड़े हैं, हाल ही में उन्हें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शहद उत्पादन में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए "गोरखपुर रत्न" से सम्मानित किया गया है. उन्होंने सर्दियों में मधुमक्खी पालन की देखभाल के बारे में अहम सुझाव दिए हैं.
राजू सिंह के अनुसार, सर्दी में अगर सूरज की रोशनी नहीं मिल रही हो, तो बॉक्स को जूट के बोरे से ढकना चाहिए, जिससे भीतर का तापमान बढ़ सके. उन्होंने बताया कि अधिक ठंडे मौसम में मधुमक्खियां बाहर पराग लेने नहीं जातीं, इसलिए 400 ग्राम चीनी और 400 मिली लीटर पानी मिलाकर गर्म करके चाशनी बना कर देनी चाहिए. यह चाशनी मधुमक्खियों को ऊर्जा प्रदान करती है. वहीं, गुड़ घोल देने से बचना चाहिए क्योंकि यह उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. राजू सिंह ने यह भी बताया कि सर्दियों में मोमी छत्ते का प्रयोग करते रहना चाहिए, ताकि रानी मधुमक्खी को जगह मिल सके और शहद और पराग की पर्याप्त आपूर्ति हो. यह उपाय मधु कॉलोनियों के तेजी से विकास में मदद करता है और उन्हें सर्दियों में मौनवंश और मधु उत्पादन में सहायता करता है.
राजू सिंह ने बाताया कि सर्दियों में मधुबॉक्स को फूल और पराग वाली फसलों के पास रखना चाहिए क्योंकि जब धूप निकलता है तो मधुमक्खियां पराग लेने के लिए जाती हैं और बॉक्स में भंडारित करती है और ज्यादा मधु उत्पादन करती हैं. उन्होंने बताया कि बॉक्स में किसी भी प्रकार की दरार होने से ठंडी हवा और नमी अंदर आ सकती है, जो मधुमक्खियों के लिए हानिकारक हो सकता है. इसलिए, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि छत्ते को अच्छी तरह से सील किया गया हो और तापमान नियंत्रित हो. छत्ते में वेंटिलेशन का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए.
छत्ते के शीर्ष पर छोटे छेद से वायु प्रवाह सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे अंदर की नमी भी नियंत्रित रहे. हालांकि, छत्ते का निरीक्षण नियमित रूप से करते रहना चाहिए ताकि वेंटिलेशन सही तरीके से काम करता रहे. सर्दियों में छत्ते की देखभाल करते समय ज्यादा हस्तक्षेप से बचना चाहिए, लेकिन कभी-कभी छत्ते की जांच करना जरूरी होता है. राजू सिंह ने कहा कि छत्ते के प्रवेश द्वार पर मृत मधुमक्खियों या मलबे का होना खराब वेंटिलेशन या अन्य समस्याओं का संकेत हो सकता है.
मधुबॉक्स में अगर आप हल्की गुंजन सुनते हैं, तो इसका मतलब है कि मधुमक्खियां अपना तापमान बनाए रखने की कोशिश कर रही हैं. जैसे-जैसे बाहरी तापमान घटता है, झुंड का बाहरी हिस्सा सिकुड़ने लगता है. मधुमक्खियां अपनी उड़ान की मांसपेशियों को हिलाकर गर्मी उत्पन्न करती हैं, और इसके लिए उन्हें शहद की आवश्यकता होती है. झुंड के बाहरी हिस्से में स्थित भोजन तक पहुंचने के लिए श्रमिकों को झुंड को तोड़ना पड़ता है, और यह तभी संभव है जब तापमान इतना बढ़ जाए कि वे अपनी मांसपेशियां हिला सकें.
सर्दियों में छत्ते की सफलता के लिए एक स्वस्थ रानी मधुमक्खी की मौजूदगी बहुत जरूरी है. रानी की उपस्थिति छत्ते में एकजुटता बनाए रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि वसंत में कॉलोनी का पुनर्निर्माण हो सके. छत्ते की निगरानी करते समय, रानी की सक्रियता और अंडों की उपस्थिति पर ध्यान दें. यदि रानी की स्थिति ठीक नहीं है, तो सर्दियों से पहले नई रानी स्थापित करने पर विचार करें.