धान की कटाई के साथ ही पराली जलाने की समस्या बढ़ जाती है. वहीं पराली का नाम सुनते ही पंजाब, हरियाणा जैसे राज्यों का जिक्र होना एक आम बात हो जाता है. सरकार किसानों के लिए पराली प्रबंधन की कई योजनाएं शुरू कर उन्हें पराली नहीं जलाने के लिए जागरूक करती है. इसके बावजूद कुछ किसान धड़ल्ले से पराली जलाते हैं. पराली जलाने से प्रदूषण की समस्या बढ़ जाती है. इससे हवा की गुणवत्ता खराब होने लगती है. ऐसे में किसानों के बीच धान की कटाई के बाद पराली समस्या बढ़ जाती है. किसानों के इस समस्या से निदान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) ने पराली जलाने की समस्या से पैदा होने वाले प्रदूषण से छुटकारा दिलाने के लिए एक बायो डीकंपोजर बनाया था.
यह बायो डीकंपोजर कुछ ही दिनों में पराली को गलाकर खाद बनाने की क्षमता रखता है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके इस्तेमाल के दौरान प्रोटोकॉल का पूरा पालन करना चाहिए. तभी इसका उपयोग ज्यादा प्रभावी साबित होगा.
आज तक की खबरों के मुताबिक वैज्ञानिकों का मानना है कि इसके उचित उपयोग से केवल पराली निपटान में ही फायदा नहीं होगा, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने में भी मदद मिलेगी. पराली जलाने की घटनाएं उत्तर भारत में एक बड़ी समस्या बनकर आई है. इसके चलते दिल्ली-एनसीआर समेत पड़ोसी राज्यों में वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी हो रहा है.
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इस साल नवंबर में NCR के कई इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बार-बार 400 और 450 की 'गंभीर' और 'बहुत गंभीर' सीमा को पार कर गया. वैज्ञानिकों का कहना है कि पूसा बायो डीकंपोजर एक माइक्रोबियल समाधान है जो लगभग 20 दिनों में 70-80 प्रतिशत पराली को खाद में बदल सकता है.
पूसा इंस्टीट्यूट के मुताबिक बायो डीकंपोजर के 04 कैप्सूल से 25 लीटर तक बायो डीकंपोजर घोल बनाया जा सकता है. 25 लीटर घोल में 500 लीटर पानी मिलाकर इसका छिड़काव ढाई एकड़ में किया जा सकता है. ये पराली को कुछ ही दिनों में ही सड़ाकर खाद बना देता है. इसके लिए धान की कटाई के बाद तुरंत इसका छिड़काव किया जाना चाहिए. छिड़काव करने के बाद पराली को जल्द से जल्द मिट्टी में मिलाना या जुताई करना बेहद जरूरी होता है.
अगर आप पराली की समस्या से निपटना चाहते हैं तो आपको बायो डिकंपोजर का घोल बनाने के लिए सबसे पहले 05 लीटर पानी मे 100 ग्राम गुड़ उबालना होगा. उसके ठंडा होने के बाद घोल में 50 ग्राम बेसन मिलाकर कैप्सूल घोलना होगा. इसके बाद घोल को 10 दिन तक एक अंधेरे कमरे में रखना होगा. ऐसे आपका बायो डीकंपोजर घोल तैयार हो जाता है.