भारत में खेती रोज नई टेक्नोलॉजी को अपना रही है. एक ऐसी टेक्नोलॉजी अब किसानों को यूरिया के प्रयोग के बारे में बताने वाली है. एक रिपोर्ट की मानें तो जल्द ही एक सैटेलाइट सिस्टम लॉन्च होगा जो किसानों को यह बताने में मदद करेगा कि खेत में यूरिया का प्रयोग कितनी मात्रा में करना है. अभी तक आपने मौसम और दूसरी चीजों में सैटेलाइट के प्रयोग के बारे में सुना होगा लेकिन यह पहली बार होगा जब किसानों को खेती में इस प्रयोग के लिए सैटेलाइट का सहारा मिलेगा.
अधिकारी की तरफ से बताया गया है कि सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम किसानों को मिट्टी की जरूरत के अनुसार खेतों में यूरिया की सटीक मात्रा का उपयोग करने में मदद करेगा. इससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या कम हो सकेगी. कृषि क्षेत्रों पर सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम के बारे में आईसीएआर-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के प्रधान वैज्ञानिक प्रोफेसर विनय सहगल ने और ज्यादा जानकारी दी है. उन्होंने एक न्यूज चैनल को बताया है कि एक ऐसा मॉडल विकसित किया गया है जिसके जरिये से किसी खास कृषि भूमि की निगरानी की जा सकेगी. साथ ही यह भी पता लगाया जा सकेगा कि यूरिया का प्रयोग खेत में और कितनी मात्रा में किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें- गन्ने के इन हानिकारक कीटों की अनदेखी ना करें, जानिए पहचान और नियंत्रण का तरीका
उन्होंने कहा कि सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम के जरिए वैज्ञानिकों को खेत का डेटा मिलता है. इससे वह किसान को बता पाएंगे कि जमीन में कितना यूरिया इस्तेमाल किया जा सकता है और इसके छिड़काव का सही समय क्या है. उनकी मानें तो यह सिस्टम कम यूरिया का प्रयोग करके भूजल प्रदूषण को कम करने में मदद करेगी. इससे पर्यावरण में सुधार हो सकेगा. कृषि भूमि में यूरिया के बहुत ज्यादा प्रयोग के प्रभाव के बारे में भी उन्होंने बताया.
यह भी पढ़ें- यहां तो पराली जलाने पर भी शुरू हो गई राजनीति, बदनाम हो गई MSP
उनका कहना था कि खेती में अतिरिक्त यूरिया का प्रयोग भूजल और पर्यावरण पर गलत असर डालता है. सहगल की मानें तो किसानों को वास्तविक समय सैटेलाइट मॉनिटरिंग सिस्टम से फायदा होगा. इसमें मिट्टी की उर्वरता और फसलों के लिए यूरिया की वास्तविक जरूरतों की सही जानकारी भी मिल सकेगी. उन्होंने यह भी बताया कि इस सिस्टम के प्रयोग से आसानी से यह जानकारी हासिल की जा सकती है कि कौन सा क्षेत्र और मिट्टी किस विशेष प्रकार की फसल उगाने के लिए सही है.