किसानों को खेती कार्यों में इस्तेमाल के लिए मशीनों की खरीद, मरम्मत और प्रशिक्षण के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर बना रही है. मध्य प्रदेश सरकार ने कहा है कि कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत वह हर साल 1 हजार कस्टम हायरिंग सेंटर का निर्माण करने का टारगेट रखा है. कस्टम हायरिंग सेंटर के लिए राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपये का बजट भी तय कर दिया है.
राज्य सरकार ने किसानों तक कृषि मशीनों की आसान पहुंच बनाने के लिए कृषि यंत्रीकरण योजना के तहत कस्टम हायरिंग सेंटर बनाने की घोषणा की है. कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए राज्य सरकार 8 लाख रुपये तक की सहायता भी दे रही है. यह राशि सेंटर के साइज और लागत पर निर्भर करेगी. योजना के तहत आवेदक को अपने गांव में कृषि कार्यों हेतु कस्टम हायरिंग सेंटर बनाना होगा.
योजना के तहत अनुदान पाकर स्थापित कस्टम हायरिंग केंद्र के संचालक अपने केंद्र के लिए हैप्पी सीडर, सुपर सीडर और ट्रैक्टर की खरीद भी कर सकते हैं और उन्हें किराए पर किसानों को उपलब्ध करा सकते हैं. कृषि विभाग मशीनों के रखरखाव, मरम्मत और सब्सिडी आदि में मदद करेगा. यहां पर कृषि से जुड़ी मशीनें मौजूद होंगी, जो किसान खरीद या किराए पर ले सकेंगे. यहां खरीदी जाने वाली कृषि मशीनों पर किसानों को छूट भी मिलेगी.
मध्य प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में किसानों की समृद्धि और खुशहाली राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है. प्रदेश में संकल्पबद्ध होकर कार्य किया जा रहा है. कृषि यंत्रीकरण प्रोत्साहन योजना के तहत हर साल 1,000 कस्टम हायरिंग केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं. इसके लिए राज्य सरकार ने 50 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है.
राज्य कृषि विभाग के अनुसार किसानों के लिए किसान उत्पादक संगठनों यानी एफपीओ को 18 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता देने का टारगेट रखा गया है. इसके अलावा 5 करोड़ रुपये तक की क्रेडिट गारंटी सुविधा दी जा रही है. इससे किसानों को फसल प्रबंधन से लेकर खेती की आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी दी जा रही है और उनकी उपज को मार्केट तक पहुंच को आसान बनाया जा रहा है.