IFFCO को एग्रीकल्चर ड्रोन की डिलीवरी दिसंबर में मिलेगी, फसल रखरखाव खर्च घटेगा, किसानों की आय बढ़ेगी 

IFFCO को एग्रीकल्चर ड्रोन की डिलीवरी दिसंबर में मिलेगी, फसल रखरखाव खर्च घटेगा, किसानों की आय बढ़ेगी 

उर्वरक प्रमुख इफको ने ड्रोन निर्माता कंपनी पारस एयरोस्पेस को 42.2 करोड़ रुपये की लागत के 400 एग्रीकल्चर ड्रोन की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया है. उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के मध्य तक ड्रोन डिलीवरी की शुरुआत हो जाएगी. यह ड्रोन फसलों के रखरखाव और छिड़काव लागत और समय को घटा देंगे.

IFFCO agricultural droneIFFCO agricultural drone
रिजवान नूर खान
  • New Delhi,
  • Nov 23, 2023,
  • Updated Nov 23, 2023, 12:45 PM IST

किसानों की फसलों की उपज बढ़ाने के लिए कीटनाशक छिड़काव और रखरखाव के लिए ड्रोन सेवाएं जल्द ही मिलने वाली हैं. दरअसल, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी यानी इफको को जल्द ही 400 ड्रोन में कुछ ड्रोन की पहली खेप मिलने वाली है. इन ड्रोन का इस्तेमाल कृषि गतिविधियों में किया जाएगा. ड्रोन फसलों के रखरखाव और छिड़काव लागत और समय को घटा देंगे, जो किसानों के लिए बड़ी राहत देने वाला होगा. जबकि, फसल उत्पादन में बढ़ोत्तरी भी होगी. 

इफको को मिलने हैं 42 करोड़ में 400 ड्रोन 

उर्वरक प्रमुख इफको (Indian Farmers Fertiliser Cooperative) ने ड्रोन निर्माता कंपनी पारस एयरोस्पेस को 42.2 करोड़ रुपये की लागत के 400 एग्रीकल्चर ड्रोन की आपूर्ति करने का ऑर्डर दिया है. उम्मीद की जा रही है कि दिसंबर के मध्य तक ड्रोन डिलीवरी की शुरुआत हो जाएगी. ड्रोन निर्माता पारस एयरोस्पेस ने अगले वित्तीय वर्ष की शुरुआत में छिड़काव और बीजारोपण के साथ ही अन्य कार्यों के लिए ड्रोन सेवाओं की पेशकश की है. 

ड्रोन के इस्तेमाल से खर्च आधा हो जाएगा 

बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार पारस एयरोस्पेस के सीईओ और सह-संस्थापक पंकज अकुला ने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि वह महाराष्ट्र में किसानों को ड्रोन बेस्ड सर्विसेज की पेशकश शुरू करेगी. इसके बाद गुजरात, आंध्र और तेलंगाना जैसे अन्य राज्यों में विस्तार करेगी. कंपनी को कृषि रसायनों और उर्वरकों के छिड़काव और फसलों की बुआई जैसी ड्रोन बेस्ड सर्विसेज देने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि ड्रोन से फसल पर छिड़काव लागत मैन्युअल के मुकाबले आधी कीमत में हो जाएगी. 

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स्वदेशी तकनीक से बना है एग्रीकल्चर ड्रोन 

पारस एयरोस्पेस के सीईओ पंकज अकुला ने कहा कि पारस एयरोस्पेस ने पहले ही ड्रोन का निर्माण शुरू कर दिया है और दिसंबर के मध्य से इफको को डिलीवरी शुरू कर देगा. पारस उड़ान नियंत्रण प्रणाली जैसी स्वदेशी तकनीक को विकसित करके ड्रोन कंपोनेंट पर अपनी आयात निर्भरता को कम करने पर भी विचार कर रहा है. वर्तमान में कंपनी ताइवान से ड्रोन के कई कंपोनेंट का आयात करती है.

ड्रोन सर्विसेज से कंपनी अपना रेवेन्यू बढ़ाएगी 

सीईओ पंकज अकुला ने कहा कि पारस एयरोस्पेस को चालू वित्त वर्ष का समापन 45-50 करोड़ रुपये के रेवेन्यू हासिल करने की उम्मीद है, जो पिछले वर्ष के 7 करोड़ से लगभग सात गुना अधिक होगा. उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए कंपनी 220 करोड़ रुपये से अधिक की रेवेन्यू ग्रोथ टारगेट कर रही है. यह रेवेन्यू ड्रोन बिक्री और सर्विस के जरिए हासिल किया जाएगा. 

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