Direct Paddy Sowing: धान की खेती में लगातार बढ़ती लागत किसानों के लिए एक बड़ी चिंता का विषय बन गई है. मजदूरों की कमी और उनकी बढ़ती मजदूरी ने धान की रोपाई को और भी मुश्किल बना दिया है. पारंपरिक तरीके से धान की खेती करना किसानों के लिए काफी मेहनत भरा और महंगा काम होता है, क्योंकि इसमें पहले धान की नर्सरी तैयार करनी पड़ती है और फिर मुख्य खेत में एक-एक पौधे की रोपाई करनी होती है, जिसमें काफी समय और पैसा लगता है. इन समस्याओं का समाधान ड्रम सीडर के रूप में सामने आया है. ड्रम सीडर का उपयोग करके किसान न केवल अपना समय बचा सकते हैं, बल्कि पैसों की भी अच्छी बचत कर सकते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के एग्रोनॉमी के प्रधान वैज्ञानिक, राजीव कुमार सिंह का कहना है कि अगर किसान रोपाई की जगह छिटकवां विधि से धान की बुवाई करते हैं, तो खेत में उगे हुए पौधे एक समान नहीं उगते हैं, जिससे अच्छी उपज नहीं मिल पाती है. वहीं, ड्रम सीडर से बुवाई करने पर बीज एक समान अंकुरित होते हैं, जिससे उपज भी बेहतर मिलती है. इस तकनीक में कदवा किए गए खेतों में सीधी बुवाई की जाती है, जिससे नर्सरी उगाने और रोपाई के काम से छुटकारा मिल जाता है और पैसे की काफी बचत होती है.
कृषि वैज्ञानिक सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर 6 प्लास्टिक के डिब्बों से बना एक यंत्र है. इस मशीन से एक बार में 6 से लेकर 12 कतारों में बीज की बुवाई की जा सकती है. ड्रम सीडर से अंकुरित धान की सीधी बुवाई मॉनसून आने से पहले, जून महीने की शुरुआत में ही कर लेनी चाहिए. यदि मॉनसून आने के बाद खेत में जरूरत से ज्यादा जल भराव हो जाता है, तो धान के बीज का समुचित विकास नहीं हो पाता है. वैसे, जून के अंतिम सप्ताह तक इस यंत्र से धान की बुवाई की जा सकती है.
दो व्यक्ति इस यंत्र का उपयोग करके एक दिन (8 घंटे) में 2.5 एकड़ की बुवाई आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए, बीज को 12 घंटे के लिए पानी में भिगोएं. इसके बाद इसे जूट के बोरे से ढककर 24 घंटे के लिए रखकर अंकुरित करें. इस बात का खास खयाल रखें कि बीज का अंकुरण ज्यादा न होने पाए. मशीन में बीज डालने से पहले, उन्हें आधा घंटा छांव में सुखाएं.
कृषि वैज्ञानिक सिंह के अनुसार, ड्रम सीडर से धान की बुवाई के लिए मध्यम या नीची जमीन बेहतर होती है. बुवाई से 1 महीने पहले खेत में 2 टन प्रति एकड़ की दर से गोबर की सड़ी खाद डालें. बुवाई से 15 दिन पहले खेत की सिंचाई और कदवा करें, ताकि खरपतवार सड़ जाए. बुवाई के 1 दिन पहले खेत को फिर से कदवा करें और समतल बना लें.
बुवाई के समय कदवा किए खेत में पानी जमा नहीं रहना चाहिए, जरूरत से ज्यादा पानी निकाल दें. उन्होंने बताया कि ड्रम सीडर से लगाए गए धान में किस्मों के अनुसार नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश क्रमशः 32, 16 और 10 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से डालें. फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा खेत में पानी निकलने के बाद और अंतिम पाटा चलाने से पहले डालें. नाइट्रोजन की आधी मात्रा 10 दिन के बाद और बाकी आधी मात्रा दो बराबर हिस्सों में बांटकर कल्ले फूटने और बाली निकलने पर डालें.