UP News: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों को भरोसा दिया था कि बारिश कम हो ज्यादा, सूखा पड़े या बाढ़ आए. आप चिंता मत करें. सरकार संकट की हर घड़ी में आपके साथ रही है और रहेगी. इस पर तेजी से अमल भी हो रहा है. इस कड़ी में किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा की तारीख बढ़ाकर 10 अगस्त तक की गई थी ताकि अधिक से अधिक किसान जरूरत पड़ने पर इससे लाभांवित हो सकें.
कम बारिश वाले 14 जिलों में बीजों के मिनीकिट वितरण के भी निर्देश दिए गए. संबंधित जिलों के किसानों को अरहर, उड़द और मूंग आदि के बीजों के मिनीकिट बांटे जा रहे हैं. ताकि किसान कम अवधि वाली दूसरी फसलों से अपनी क्षति की भरपाई कर सकें. इसके लिए लगभग डेढ़ लाख मिनीकिट उपलब्ध कराए गए हैं. इसके माध्यम से लगभग 5800 कुंतल बीज नि:शुल्क वितरित किया जाएंगे.
यह पहली बार नहीं है. योगी 01 की पहली कैबिनेट से लघु सीमांत किसानों की कर्जमाफी से जो सिलसिला शुरू हुआ वह योगी 02 में भी उसी शिद्दत से जारी है. रिकॉर्ड गन्ना मूल्य का भुगतान, एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर धान और गेंहू की रिकॉर्ड खरीद, तय समय पर भुगतान इसके प्रमाण हैं.
बता दें कि झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, मऊ, देवरिया, कुशीनगर, चंदौली, मिर्जापुर, कौशांबी और पीलीभीत कम वर्षा वाले जिले है.
इससे पहले सीएम योगी ने कहा कि यूपी में अमूमन 15 से 20 जून तक मानसून प्रवेश कर जाता था. इस वर्ष प्रारंभिक बारिश को छोड़ दें तो बारिश अनुकूल और अच्छी नहीं कही जा सकती है. हमने पहले ही बैठक करके अपनी रणनीति बनाई है. हिमालयी नदियों में बाढ़ की स्थिति पैदा हुई, इससे काफी फसलों को नुकसान पहुंचा है. उसके आंकलन के आदेश भी दिये गये हैं. उसपर कार्रवाई आगे बढ़ रही है. बाढ़ और सूखा से आपदा की चपेट में आए 4500 किसानों को पहले चरण में अबतक मुआवजा देने का कार्य किया है.
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बाढ़ और सूखा के अलावा अन्य अनेक कदम उठाए हैं. इस बार पश्चिमी यूपी में बाढ़ आई मगर 40 से ज्यादा जनपदों में सूखा देखने को मिला. बहुत सी जगह सिंचाई और पॉवर कॉर्पोरेशन ने अपने स्तर पर कार्य किये. नोडल अधिकारियों और प्रभारी मंत्रियों ने जनपदों के दौरे किये. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 403 एमएम बरसात को सामान्य माना जाता है, मगर पिछले कुछ वर्ष से देखने को मिला है कि मौसम चक्र में विसंगति का दुष्प्रभाव सबसे अधिक अन्नदाताओं पर पड़ता है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 403 एमएम बरसात को सामान्य माना जाता है, मगर पिछले कुछ वर्ष से देखने को मिला है कि मौसम चक्र में विसंगति का दुष्प्रभाव सबसे अधिक अन्नदाताओं पर पड़ता है.