सर्दियों के मौसम में हरी सब्जियों और फलों का बहार होता है. लोग तरह-तरह की सब्जियों और फलों का आनंद इस मौसम में उठाते हैं. मौसमी फल और सब्जियों की खेती कर किसान भी इस मौसम में अच्छा मुनाफा कमाते हैं. लेकिन] अब सवाल यह है कि इस मौसम में कौन सी सब्जी लगानी चाहिए और उसको लगाने का तरीका क्या है. कभी-कभी किसान भाई बिना जानें फसल की बुवाई कर तो देते हैं लेकिन उससे अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता है. ऐसे में आज हम आपको बताएंगे सर्दियों के मौसम में उगाई जाने वाली सब्जी और उसको लगाने का सही तरीका क्या है.
किसान भाइयों के लिए दिसंबर माह में टमाटर की खेती करना सही रहेगा. इसके लिए किसानों को टमाटर की उन्नत किस्मों का चयन करना होगा ताकि सही उपज के साथ सही गुणवत्ता भी मिल सके. इसकी उन्नत किस्मों में अर्का विकास, सर्वोदय, सिलेक्शन -4, 5-18 स्मिथ, समय किंग, टमाटर 108, अंकुश, विकरंक, विपुलन, विशाल, अदिति, अजय, अमर, करीना, अजित, जयश्री, रीटा, बीएसएस 103, 39 आदि प्रमुख रूप से शामिल हैं. किसान भाई इन किस्मों का चयन कर आसानी से टमाटर की खेती कर सकते हैं.
टमाटर के पौधे 25-30 दिन में अक्सर रोपाई के लिए तैयार हो हो जाते हैं, वहीं अगर तापमान में कमी हो तो बुवाई के बाद 5-6 सप्ताह का समय भी लग जाता है. टमाटर की रोपाई करने वक़्त लाइन से लाइन की दूरी 60 से. मी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 से. मी. का ध्यान रखना चाहिए. साथ ही टमाटर की रोपाई शाम के समय करें, ताकि पौधों को तेज धूप से शुरू की अवस्था में बचाया जा सके.
मूली की फसल के लिए ठंडी जलवायु उपयुक्त मानी जाती है. ऐसे में ठंड के मौसम में मूली की बुवाई की जा सकती है. मूली से अच्छा उत्पादन लेने के लिए जीवांशयुक्त दोमट या बलुई दोमट मिट्टी का इस्तेमाल करें. इसकी उन्नत किस्में जापानी सफ़ेद, पूसा देशी, पूसा चेतकी, अर्का निशांत, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, पंजाब सफ़ेद, आई.एच. आर1-1 एवं कल्याणपुर सफ़ेद है.
मूली की बुवाई मेड़ों तथा समतल क्यारियों में भी की जाती है. ऐसे में लाइन से लाइन या मेड़ों से मेंड़ों की दूरी 45 से 50 सेंटीमीटर तथा उचाई 20 से 25 सेंटीमीटर का ध्यान रखें तथा पौधे से पौधे की दूरी 5 से 8 सेंमी. मूली की बुवाई के लिए 10 से 12 किग्रा प्रति हेक्टेयर मूली का बीज पर्याप्त होता है. मूली के बीजों को 2.5 ग्राम थीरम प्रति एक किलोग्राम बीज की दर से उप-उपचारित करना चाहिए या बीज उपचार के लिए 5 लीटर गोमूत्र प्रति किलोग्राम बीज का उपयोग किया जा सकता है. इसके बाद उपचारित बीजों को 3 से 4 सेंटीमीटर की गहराई पर बो देना चाहिए.
बैंगन की खेती के लिए दोमट और बलुई दोमट मिट्टी बैंगन के लिए अच्छी होती है. इसकी उन्नत किस्मों में पूसा पर्पल क्लॉंग, पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा पर्पल क्लस्टर, पूजा क्रांति, पूसा अनमोल, मुक्तकेशी अन्नामलाई, बनारस जेट आदि शामिल हैं.
बैंगन की रोपाई के लिए नर्सरी में छोटी-छोटी क्यारियों में बीज बोकर पौध को तैयार किया जाता है. जब ये पौधे चार से पांच सप्ताह के हो जाते हैं तो इन्हें तैयार उपजाऊ खेतों में लगा दिया जाता है. इसकी बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर 500-700 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है. इसकी बुआई करते समय कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 45 सेंटीमीटर तथा गोल फलों की किस्मों को कतार से कतार की दूरी 75 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर होनी चाहिए.