देशभर में इस साल रबी फसलों की बुवाई का क्षेत्र बढ़ता नजर आ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक, 17 जनवरी तक रबी की सभी फसलों का रकबा 640 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया, जो पिछले सीजन की इस अवधि में 637.49 था. यहां तक कि गेहूं की खेती वाले इलाके उत्तर-पश्चिम के मैदानी इलाके दिल्ली-एनसीआर, यूपी, हरियाणा, पूर्वी-पश्चिमी राजस्थान आदि में तापमान बढ़ने के बाद भी यहां गेहूं की बुवाई अच्छी हुई है. तापमान बढ़ने से किसान थोड़े चिंतित है, लेकिन कृषि वैज्ञानिक ने इससे न घबराने के लिए कहा है, क्योंकि इसका उत्पादन पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कृषि मंत्रालय की ओर से हाल ही में जारी किए गए बुवाई के आंकड़ों के मुताबिक, चालू रबी सीजन में गेहूं की बुवाई का रकबा 1.38 फीसदी बढ़ गया है. यह 320 लाख हेक्टेयर हो गया है. पिछले साल यह इस अवधि में 315.63 लाख हेक्टेयर था. 13 से 20 जनवरी के बीच गेहू के रकबे में कोई बढ़ोतरी नहीं दर्ज की गई है. इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब इसकी बुवाई लगभग पूरी हो गई है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, करनाल स्थित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के पूर्व निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि हर साल इस समय (जनवरी में) कुछ दिनों के लिए तापमान में बढ़ोतरी होती है. लेकिन, बढ़े हुए तापमान का गेहूं की फसल पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है.
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मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक, दो पश्चिमी विक्षोभों के सक्रिय हाेने के कारण 23 जनवरी तक पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी की संभावना बन रही है तो वहीं, आज और कल पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी-पश्चिमी राजस्थान में बारिश की संभावना है. इसके अलावा पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी बारिश के आसार हैं, जिससे कई फसलों को लाभ मिलेगा.
इस बार रबी की दलहन फसलों के रकबे में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है. दलहन का रकबा 139.29 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 141.69 लाख हेक्टेयर पहुंच गया है. वहीं श्रीअन्न यानी मोटे अनाज के रकबे में मामूली कमी दर्ज की गई. यह पिछले साल के 54.63 लाख हेक्टेयर से घटकर 54.49 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया.
इसमें मक्का का रकबा 22.90 लाख हेक्टेयर और ज्वार का 23.95 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है. वहीं, इस रबी सीजन में तिलहन फसलों की बुवाई में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. 20 जनवरी तक 97.62 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन फसलों की बुवाई हुई, जबकि पिछली बार इस अवधि तक 101.80 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई पूरी हो चुकी थी.