तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में बड़े पैमाने पर प्रमुख दलहन फसल उड़द की खेती की जाती है, लेकिन इस सीजन फसल को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसकी वजह से इस दाल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. हाल ही में तमिलनाडु चक्रवात फेंगल से प्रभावित हुआ था, जिसके कारण राज्य को बाढ़ और भारी बारिश जैसे हालातों का सामना करना पड़ा. इस दौरान उड़द की फसल को भारी नुकसान हुआ. वहीं, आंध्र प्रदेश में उड़द फसल को पीला मोजैक वायरस ने काफी नुकसान पहुंचाया है, जिसकी वजह से उत्पादन प्रभावित होगा.
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार ने अग्रिम अनुमान लगाते हुए इस साल खरीफ उड़द उत्पादन में 25 प्रतिशत कमी की बात कही है. पिछले बार 2023-24 में 16.04 लाख टन उत्पादन हुआ था, जबकि इस बार यह 25 प्रतिशत कम होकर 12.09 लाख टन रह सकता है. व्यापारियों का कहना है कि वर्तमान हालात को देखें तो अभी काफी समय तक दाम बढ़े हुए ही रह सकते हैं. जब तक म्यांमार में नई फसल से उत्पादन नहीं मिल जाता तब तक स्थिति ऐसी ही बनी रह सकती है.
‘बिजनेसलाइन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चेन्नई स्थित एक इंपोर्ट-एक्सपोर्ट कंपनी फोर पी इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर बी कृष्णमूर्ति ने बताया कि तमिलनाडु के विल्लुपुरम इलाके के आसपास उड़द फसल बर्बाद हुई है. इसके अलावा, आंध्र प्रदेश में ओंगोल के पास उड़द खेती पीला मोजैक वायरस से प्रभावित हुई है.
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वहीं, कर्नाटक के उत्तर-पूर्वी इलाकों में भी कटाई के दौरान लगातार बारिश हुई, जिसके चलते उड़द की फसल खराब हुई. लगभग एक महीने तक बारिश होने से फसल पर बुरा प्रभाव पड़ा. यही वजह है कि उड़द की गुणवत्ता कम हो गई और उत्पादन घट गया.
कर्नाटक प्रदेश रेडग्राम उत्पादक संघ के अध्यक्ष बसवराज इंगिन ने कहा कि क्षेत्र में किसानों को फसल से जितनी पैदावार की उम्मीद थी, उसका मुश्किल से 20 प्रतिशत ही मिल पाई होगी. उड़द के अलावा मूंग की फसल भी भारी बारिश की चपेट में आने से प्रभावित हुई है, लेकिन उड़द के मुकाबले नुकसान कम हुआ है.
इस साल उड़द की खेती का रकबा भी घटा है. इस बार 30 लाख हेक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई, जबकि पिछले साल के खरीफ सीजन में 32.60 लाख हेक्टेयर रकबा था. रकबे में गिरावट के पीछे मध्य प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान जैसे राज्य हैं. वहीं, कर्नाटक, महाराष्ट्र, यूपी और आंध्र प्रदेश में इस साल रकबा बढ़ा है. एग्मार्कनेट के आंकड़ों के अनुसार, एक महीने पहले तक उड़द का भाव 7,400 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा था, जबकि फसल प्रभावित होने के बाद अब कीमतें बढ़कर 8,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं.