उत्तर प्रदेश के कई जिलों में बुधवार और गुरुवार रात हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. खासकर उन क्षेत्रों में जहां आलू, सरसों और मटर की फसलें लगी हैं, किसानों को भारी नुकसान होने की आशंका है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. आलू और सरसों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है, जबकि गेहूं की फसल के लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हो सकती है. किसानों को कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर अपनी फसलों को बचाने के लिए कदम उठाने चाहिए.
मथुरा जिले के भूरेका गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान सुधीर अग्रवाल ने बताया कि उनके जिले सहित आगरा, मथुरा जिलों में हजारों हेक्टेयर में आलू की खेती होती है. आलू की फसल इन दिनों खुदाई के दौर से गुजर रही थी, और इसे सुखाने के बाद ही बाजार में भेजा जाता है या फिर कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है. रात की बारिश ने आलू की खुदाई को प्रभावित किया है. आलू खुदाई के दौरान भीग गए हैं, जिससे किसानों को चिंता है कि अगर खेतों में पानी भरा, तो आलू सड़ने लगेगा. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होने की संभावना है.
बुलंदशहर के किसान प्रीतम सिंह ने बताया कि गुरुवार तेज हवाओं और बारिश की वजह से सरसों की पकी फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि हापुड़ जिले में ओला गिरने से खेतों में खड़ी सरसों की फसल गिर गई है, जिससे किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है. ओलावृष्टि के कारण सरसों के पौधों की हालत बिगड़ी है और यह फसल जमीन पर गिरने के कारण नुकसान होगा. इस फसल की कटाई भी अब प्रभावित हो सकती है, जिससे किसानों का नुकसान और बढ़ सकता है.
प्रगतिशील किसान सुधीर अग्रवाल ने कहा कि तेज हवाओं और बारिश से गेहूं की फसल भी गिर गई है, जिससे गेहूं की फसल जो अगेती बोई गई थी, वह गिर गई है. इससे उपज पर प्रभाव पड़ेगा. इससे कल्ले और नई बालियां नहीं बनेगी, जिससे उपज पर प्रभाव पड़ेगा. हालांकि, गेहूं की फसल के लिए यह बारिश फायदेमंद साबित हो सकती है.
गेहूं के खेतों में इस समय काफी सूखा था और पछुआ हवा के कारण खेतों में नमी कम हो गई थी. बारिश के बाद नमी का स्तर बढ़ने से गेहूं की फसल को संजीवनी मिल गई है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, गेहूं की फसल में इस समय बारिश से नमी मिलना लाभकारी है. लेकिन कई जगह तेज ओलावृष्टि से गेहूं की फसल को भी नुकसान हुआ है.
इस बदलाव का सबसे बड़ा असर किसानों की मानसिक स्थिति पर पड़ा है. रातभर की चिंता और मौसम की अनिश्चितता ने किसानों के मन में डर और असमंजस का माहौल बना दिया था. आलू, सरसों और गेहूं की फसलों के लिए यह मौसम एक चुनौती साबित हो रहा है. आलू अनुसंधान केंद्र मेरठ के प्रमुख राजेश कुमार सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि अगर खेतों में पानी भरने का खतरा हो, तो खेतों से पानी निकालने की व्यवस्था करें, ताकि आलू सड़ने से बच सके. अगर नमी अधिक रहती है, तो कोल्ड स्टोरेज में भी आलू में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है.