Budget 2025: सरप्‍लस स्‍टॉक, गिरती कीमतें... परेशान चावल उद्योग ने सरकार से की ये मांग

Budget 2025: सरप्‍लस स्‍टॉक, गिरती कीमतें... परेशान चावल उद्योग ने सरकार से की ये मांग

सरप्‍लस स्टॉक, गिरती कीमतों और सुस्त निर्यात से जूझ रहे भारतीय चावल उद्योग ने सरकार से आगामी केंद्रीय बजट में प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन की मांग की है. उद्योग ने बजट में आधुनिक और बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढांचे- खासकर सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की मांग की है.

Rice Industry's Demands From Budget 2025Rice Industry's Demands From Budget 2025
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jan 31, 2025,
  • Updated Jan 31, 2025, 5:46 PM IST

भारतीय चावल उद्योग ने सरकार से आगामी केंद्रीय बजट में सरप्‍लस स्टॉक, गिरती कीमतों और सुस्त निर्यात पर ध्‍यान देते हुए प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन की मांग की है. उद्योग ने बजट में आधुनिक और बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास की भी मांग उठाई है. इसमें भी खासकर सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं की मांग की गई है. भारतीय चावल निर्यातक संघ (IREF) के उपाध्यक्ष देव गर्ग ने 500 लाख टन के बंंपर सरप्‍लस का जिक्र किया, जिससे बासमती और सफेद चावल दोनों में 10-15 प्रतिशत की कीमत में गिरावट आई है. गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के सरकार के हालिया कदम के बावजूद शिपमेंट कमजोर रहा है.

देव गर्ग ने कहा कि अप्रैल से अब तक चावल का निर्यात कुल 76,000 करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल इसी अवधि के 1.14 लाख करोड़ रुपये से काफी कम है. गर्ग ने कहा, "मौजूदा तिमाही व्यापारियों के लिए मुश्किल है और अगले तीन महीनों में निर्यात में सुधार की संभावना नहीं है. बंपर फसल आने और भंडारण के लिए जगह नहीं होने के कारण, निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों में वृद्धि के माध्यम से सरकार के हस्तक्षेप की जरूरत है."  

RoDTEP योजना को बढ़ाने की मांग

उन्होंने निर्यात उत्पादों पर शुल्क और करों की छूट (RoDTEP) योजना को 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 3 प्रतिशत करने और निर्यातकों का समर्थन करने के लिए ब्याज समतुल्यता योजना को फिर से शुरू करने का आह्वान किया. राइसविला के निदेशक सूरज अग्रवाल ने बजट में ग्रामीण बुनियादी ढांचे के विकास (विशेष रूप से सिंचाई और कोल्ड स्टोरेज सुविधा) की जरूरत पर जोर दिया.

PMKSY के लिए फंडिंग बढ़ाने का आग्रह

उन्होंने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) के लिए फंडिंग बढ़ाने का आग्रह किया, ताकि दीर्घकालिक सिंचाई समाधान और जलवायु-स्मार्ट कृषि, सूखा प्रतिरोधी फसलों और जल संरक्षण तकनीकों में निवेश प्रदान किया जा सके. अग्रवाल ने कहा, "भारत की कृषि उत्पादकता वैश्विक औसत से कम है. बजट में कृषि-तकनीक स्टार्टअप, डिजिटल उपकरण, IoT-आधारित स्मार्ट खेती और AI-संचालित फसल प्रबंधन को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि कृषि दक्षता बढ़ाई जा सके और नुकसान कम किया जा सके." 

स्किल डेवलपमेंट इनिशि‍एटिव की जरूरत

उन्होंने किसानों के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों के महत्व पर भी जोर दिया, ताकि वे वास्तविक समय के मौसम अपडेट, बाजार मूल्य और सरकारी योजनाओं तक पहुंच सकें. अग्रवाल ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कौशल विकास पहलों (स्किल डेवलपमेंट इनशिएटिव) का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि कृषि-व्यवसाय, निर्यात और डिजिटलीकरण में अवसरों का लाभ उठाने से किसानों की आय में सुधार हो सकता है और भारतीय कृषि को दीर्घकालिक लचीलापन और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए तैयार किया जा सकता है. (पीटीआई)

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