भारत में बागवानी फसल नींबू की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. यही वजह है कि अकेले दुनिया का करीब 17 फीसदी नींबू उत्पादन यहां होता है. यहां नींबू का उपयोग नींबू पानी, शिकंजी, अचार आदि में किया जाता है. यहां इसका कमर्शियल मार्केट हमेशा बना रहता है. गर्मी में तो गांव हो या शहर सभी जगहों पर विटामिन-सी से भरपूर इस फल की भारी डिमांड रहती है. वहीं, इसकी कीमत भी काफी बढ़ जाती है. ऐसे में किसानों के लिए नींबू की खेती एक बढ़िया विकल्प है, क्योंकि एक बार लगाने पर इसका पेड़ सालों-साल फल देता है. हालांकि, इसकी देखभाल करना जरूरी है. जानिए नींबू की ऐसी किस्मों के बारे में जो जल्दी फल देने लगती है और किसानों को बढ़िया फायदा मिलने लगता है...
थार वैभव कागजी नींबू की एक किस्म है, जिसके फल गुच्छे में लगते हैं. इस किस्म में पौधे लगाए जाने के 3 साल बाद फल देने लगते हैं. इसका फल आकार में गोल होता है, जो चिकना होने के साथ आकर्षक पीला रंग का होता है. रस के मामले में भी यह अच्छा होता है. इसके फल में 49 प्रतिशत रस पाया जाता है और इसकी अम्लता (खटास) 6.84 प्रतिशत होती है. इसके फल में 6-8 बीज पाए जाते हैं. नींबू की इस किस्म का एक पौधा सालाना औसतन 60 किलो तक फल की उपज दे सकता है.
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इसके एक फल का वजन औसत वजन 42.57 ग्राम और आकार 42.7 मि.मी. व 42.82 मि.मी. होता है. यह किस्म साल में जुलाई-अगस्त, दिसंबर-जनवरी और अप्रैल-मई के दौरान तीन बार फल देती है. हालांकि, ज्यादतर इलाकों में इसमें साल भर फल लगते हैं. इस किस्म के फल गर्मियों में 125-135 दिनों में पककर तैयार होते हैं. वहीं, बारिश और और सर्दियों के मौसम में 145-155 दिन में पकते हैं.
यह नींबू की एक फैलाव वाली किस्म है. पांच साल में इसका पेड़ 5.98 मीटर तक ऊंचा हो जाता है और 4.31 मीटर. x 4.46 मीटर तक हो जाता है. साथ ही इसकी टहनियों में कांटे कम पाए जाते हैं. वहीं, अगर सिंचाई की बात करें तो थार वैभव किस्म काफी हद तक सूखा सहने में भी सक्षम होता है. पौधा लगाने के 1-2 साल बाद जरूरत के हिसाब से पानी दिया जा सकता है. हालांकि, पौधा लगने के समय और फल देने के समय 7 दिन के अंतराल में सिंचाई करनी चाहिए.