सिर्फ पंजाब ही नहीं, बल्कि तेलंगाना में भी भूजल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है. राज्य के कई हिस्सों में भूजल स्तर 2 से 4 मीटर तक कम हो गया है. जबकि सभी प्रमुख जलाशयों में भंडारण का भी स्तर गिर गया है, जिससे किसानों में चिंता पैदा हो गई है. उन्हें फसलों की सिंचाई करने के लिए प्रयाप्त मात्रा में पानी भी नहीं मिल रहा है. ऐसे में कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में 60 लाख से अधिक किसान परिवार अपने मतों से किसी भी पार्टी का खेल बिगाड़ सकते हैं. ऐसे में राजनीतिक दल किसानों को लुभाने में लग गए हैं.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने आरोप लगाया है कि ए रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने किसानों को अधर में छोड़ दिया है, क्योंकि पानी की कमी के कारण लाखों एकड़ जमीन में लगी फसल बर्बाद हो गई. बीआरएस का कहना है कि केवल कांग्रेस के तीन महीन के शासन में ही कृषि की स्थिति उलट गई. अब किसान आत्महत्या कर रहे हैं. बीआरएस अध्यक्ष के चन्द्रशेखर राव ने कहा कि प्रदेश के कई हिस्सों में भूजल स्तर 2 से 4 मीटर तक कम हो गया है, जबकि सभी प्रमुख जलाशयों में भंडारण स्तर गिर गया, जिससे किसान चिंतित हैं.
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राव ने उन किसानों के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए राज्य के कई हिस्सों में कुछ स्थानों का दौरा किया, जिनकी फसलें भूजल की कमी के कारण सूख गईं. उन्होंने किसानों से अतिवादी कदम नहीं उठाने की अपील करते हुए कहा कि उनकी पार्टी संकट की घड़ी में उनके साथ खड़ी रहेगी और उनकी शिकायतों को दूर करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी. पिछले हफ्ते चेवेल्ला लोकसभा क्षेत्र में सार्वजनिक बैठक में उन्होंने दिसंबर 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले किसानों और उनसे किए गए वादों की उपेक्षा के लिए सरकार की आलोचना की.
उनके बेटे और बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने भी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि वह किसानों के लिए 2 लाख रुपये की ऋण माफी योजना के वादे का सम्मान करने में विफल रही. इससे किसानों में असंतोष हैं. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी बीआरएस नेताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों के महत्व को जानती है. किसानों का कोई भी असंतोष चुनाव में उनका खेल बिगाड़ सकता है. कांग्रेस को राज्य की 17 सीटों में से 8-12 सीटें जीतने की उम्मीद है.
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कांग्रेस नेता तुम्मला नागेश्वर राव ने सहकारी ऋण समितियों और बैंकों से अपील की कि वे फसल ऋण वसूली पर जोर न दें क्योंकि किसान खरीफ सीजन की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने सोमवार को एक समीक्षा बैठक में कहा कि हम फसल बीमा योजना को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं.