देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा दाम नहीं मिल रहा है. यहां न्यूनतम दाम 2201 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. जो इसकी एमएसपी से काफी कम है. अधिकतम दाम 5490 जबकि औसत दाम 4664 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है. किसानों को इतने कम दाम से परेशानी हो रही है. एक तरफ सरकार खाने वाले तेल का आयात कर रही है तो दूसरी तरफ मध्य प्रदेश के किसानों को तिलहन फसल सोयाबीन का दाम नहीं मिल रहा है. सोयाबीन का एमएसपी 4600 रुपये प्रति क्विंटल है. मध्य प्रदेश में इसका न्यूनतम दाम एमएसपी का आधा भी नहीं है.
भारत में सबसे अधिक सोयाबीन का उत्पादन मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में होता है. मध्य प्रदेश में इंदौर में सोयाबीन रिसर्च सेंटर है, जो इसकी खेती को बढ़ावा देने का काम करता है. लेकिन इसका किसानों को अच्छा दाम मिले इसके लिए कोई खास इंतजाम नहीं दिखता है. मध्य प्रदेश के किसानों को न्यूनतम दाम सिर्फ 2200 रुपये मिल रहा है, जबकि केंद्र सरकार ने एमएसपी घोषित करते हुए बताया था कि किसानों को इसकी उत्पादन लागत 3029 रुपये प्रति क्विंटल आती है.
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भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान के अनुसार वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत है. कुल खाद्य तेल उत्पादन में सोयाबीन का 22 प्रतिशत योगदान है. जनसंख्या में वृद्धि के साथ खाद्य तेल की मांग बढ़ रही है और विभिन्न तिलहनी फसलों द्वारा 40 फीसदी मांग को पूरा किया जा रहा है. खाद्य तेलों की बाकी 60 प्रतिशत मांग आयात द्वारा पूरी की जा रही है. सोयाबीन किसानों को 2021 में 10 हजार रुपये क्विंटल तक का दाम मिला था.
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