Mango Gardening: उत्तर प्रदेश के लखनऊ का मलिहाबादी आम पूरे देश में प्रसिद्ध है. मलिहाबाद में सभी आम के पेड़ों पर बौर आ चुके हैं और हालांकि इस बार मात्र पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत आम उत्पादन की उम्मीद भी जताई जा रही है. ऐसे में मलिहाबाद के किसानों ने एक नायाब तरीका अपनाया है, ताकि अगर बीच में मौसम खराब भी हो जाए या कीड़े लगने की आशंका बढ़ती भी है तो आम को पूरी तरह से सुरक्षित किया जा सके. इंडिया टुडे के डिजिटल प्लेटफॉर्म किसान तक से खास बातचीत में अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि साल 2023 आम उत्पादकों के लिए काफी नुकसान भर रहा था . पिछले साल मार्च में हुई भारी बारिश की वजह से आम के बौर टूट कर गिर गए थे. जो आम बचे भी थे उसमें भी कीड़े लग गए थे जिस वजह से 75 फीसदी तक मलिहाबाद के आम उत्पादकों को नुकसान उठाना पड़ा था. इस साल गर्मी शुरू हो चुकी है.
उन्होंने बताया कि इस बार 50,000 बैग ऑर्डर दिए गए हैं. समिति अपने से जुड़े हुए सभी किसानों को यह बैग देगी ताकि समय रहते वो अपने आम के छोटे बौर जो 5 जून तक आ जाएंगे उन पर यह बैग लगा सकें. उन्होंने यह भी बताया कि सरकार अगर इसके ऊपर सब्सिडी दे तो इसके दाम कम होंगे. अभी ढाई रुपए का एक बैग है.
उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यह बैग वाटरप्रूफ है और इसके अंदर एक लेप लगा हुआ है जो इसके अंदर आम को बंद करने पर उसे पूरी तरह से ऑक्सीजन देता है. साथ में ही उसे पकने में भी मदद करता है, जिससे किसानों को किसी भी तरह की कोई कीटनाशक दवा को डालने की जरूरत नहीं पड़ेगी. अगर बारिश हुई या आंधी तूफान आया तो आम टूटकर नहीं गिरेगा और उस पर कीड़े भी नहीं लगेंगे.
आम के प्रगतिशील किसान ने बताया कि इस बैग के अंदर पके हुए आम अपने असली साइज से 20 फीसदी बड़े हो जाते हैं. अगर 200 ग्राम का कोई आम है तो वह 220 ग्राम का हो जाएगा. ऐसे में किसान अपने काम आमों को लेकर मार्केट में जब जाएंगे तो उनके आमों की अच्छी क्वालिटी देखकर जो आम 30 रुपए किलो बिकना था वो 100 रुपए किलो तक बिकेगा जिससे किसानों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफा होगा. उन्होंने कहा कि केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान(CISH) के विशेषज्ञ भी समय- समय पर आम के किसानों को जानकारी दे रहे हैं.
किसान उपेंद्र सिंह बताते हैं कि मई-जून में यूपी में लू चलने की सीजन होता है. इससे दशहरी की क्वॉलिटी बढ़ती है. उसके बाद जून में तीन-चार बार हल्की फुहार पड़ती हैं तो अच्छा रहता है, लेकिन पिछले कुछ दशकों से मई और जून में कई बार बारिश होने लगी. पिछले दो साल में तो जून में आठ बार बारिश हो गई. इससे फल की मिठास में 30-40% तक की कमी आ जाती है.
मलिहाबाद में ही आम के प्रगतिशील किसान किसान उपेंद्र सिंह ने बताया कि मौसम में बदलाव के कारण कीटनाशकों का छिड़काव भी ज्यादा करना पड़ता है. सामान्य तौर पर आम की फसल में दो या तीन बार कीटनाशक की जरूरत होती है, लेकिन कई किसान छह-सात बार भी छिड़काव कर रहे हैं. किसानों को जानकारी भी नहीं है. नकली कीटनाशक भी बाजार में हैं. कीड़ा नहीं मरता तो वे बार-बार इसका छिड़काव करते हैं.
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