सिरुमलाई केले का नाम सुना होगा आपने. नहीं सुना तो हम आपको बताते हैं. केले की यह बहुत मशहूर किस्म है जो अपने यूनीक टेस्ट और खुशबू के लिए जानी जाती है. इसकी कई विशेषताएं हैं जो इसे बेहद मांग वाली वैरायटी बना देती है. बाजारों में लोग इसे ढूंढ-ढूंढ कर खरीदते हैं. इसकी खासियतों की बात करें तो इस केले का पका फल देखने में भी बहुत आकर्षक लगता है. इसका पीला रंग खरीदारों को अपनी ओर खींच लेता है.
सिरुमलाई केले का छिलका थोड़ा मोटा होता है जो इसे हार्ड जरूर बनाता है, लेकिन इसकी खेती करने वाले किसानों और ग्राहकों को फायदे होते हैं. छिलका मोटा होने से किसान को इसके रखरखाव की टेंशन कम होती है. ढुलाई में इसके डैमेज होने की संभावना कम रहती है. ग्राहक को फायदा होता है कि खरीदने के बाद उसे अधिक दिनों तक रखा जा सकता है. इसकी शेल्फ लाइफ 10-15 दिनों तक बताई जाती है.
सिरुमलाई केले की एक और बड़ी विशेषता है. पकने के बाद इस केले का गूदा थोड़ा हार्ड होता है क्योंकि उसमें नमी या पानी की मात्रा कम होती है. नमी कम होने से इसके खराब होने या सड़ने के चांज कम हो जाते हैं. इस केले में चीनी और पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है. इसलिए यह केला मीठा होने के साथ ही सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है.
इतनी खासियतों के बावजूद केले की यह किस्म कुछ वर्षों से संकट में है. इसकी खेती करने वाले किसान परेशान हैं क्योंकि इस पर कीट, पतंगे और भुनगे का प्रकोप अधिक हो रहा है. बेमौसम बारिश से भी इस केले को गंभीर नुकसान हो रहा है. खेती की बात करें तो तमिलनाडु के डिंडीगुल में इसे बहुतायत में उगाया जाता है. मगर यहां के किसान सिरुमलाई केले की खेती से पीछे हट रहे हैं क्योंकि उन्हें कीट और बेमौसमी बारिश जैसे संकटों से गुजरना पड़ रहा है.
सिरुमलाई केले की खासियतों और उसकी खेती के बारे में डिंडीगुल के किसान टी विघ्नेश ने TNIE से कहा, सिरुमलाई में मैंने 40 एकड़ में केले की खेती की है. केले अभी छोटे हैं, लेकिन मजबूत हैं क्योंकि ये कम पानी सोखते हैं और पोषण से भरपूर होते हैं. लेकिन लंबे समय से इस पर बीमारियों का प्रकोप हो रहा है. विल्ट बीमारी और चींटियों का हमला बढ़ गया है. इससे किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है.
किसान विघ्नेश ने कहा, पहले इस केले की एक शाखा में 11-12 गुच्छे होते थे, अब एक शाखा में सात से आठ गुच्छे होते हैं. इसके अलावा, जंगली सूअरों के हमले में भी तेजी आई है. इसके अलावा, इनपुट लागत 1.25 से 1.75 लाख रुपये प्रति एकड़ के बीच चल रही है. इसलिए, पिछले कई सालों में कई लोगों ने केले की खेती छोड़ दी है."
एक अन्य किसान के सेतुराज ने कहा, "हालांकि हमारे पौधों को कम पानी की जरूरत होती है, लेकिन हमें विल्ट और 'बंची टॉप' जैसी बीमारियों सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो एक विनाशकारी वायरल बीमारी है. कई किसानों को कई लाख रुपये का भारी नुकसान हुआ और उन्होंने केले की खेती से उम्मीद छोड़ दी. जब कोई किसान केले की खेती पर 1 लाख रुपये से अधिक खर्च करता है, तो लगभग 20,000 से 25,000 रुपये कीटनाशकों, हर्बीसाइड और कीटनाशकों पर खर्च होते हैं.
सेतुराज ने कहा, कुछ अच्छे कीटनाशकों की कीमत लगभग 450 रुपये प्रति लीटर है. इसलिए, अधिक इनपुट लागत कई किसानों को अपनी जमीन बड़े किसानों को बेचने के लिए मजबूर कर रही है. इसके अलावा, बेमौसम बारिश भी नुकसान का कारण बनती है. अगर केले को फूल के मौसम में पानी की जरूरत होती है, और फल लगने के बाद बारिश होती है, तो पानी फल और पेड़ों को नुकसान पहुंचाता है."