संगमेश्वर और रत्नागिरी तालुका के आम के बाग के मालिक नंदकिशोर जाधव ने इस मौसम में उत्पादन में 75 परसेंट की गिरावट की बात बताई. उन्होंने 'PUNE PULSE' से कहा, "दिसंबर के बाद मेरे पेड़ों में कोई फूल या फल नहीं लगे हैं. पिछले साल की कीमत से दोगुनी कीमत पर भी, मेरी कमाई उत्पादन लागत को कवर नहीं कर पाएगी." बहुत कम स्टॉक के साथ, जाधव अपनी उपज को पुणे ले जाने के बारे में संदेह में हैं, जहां अभी अल्फांसो आम की कीमत 6,000-7,000 रुपये प्रति बॉक्स (चार दर्जन) है. उन्होंने कहा, "इस दर पर खरीदार मिलना मुश्किल है, और मेरे पास इतनी भी उपज नहीं है कि मैं ढुलाई का खर्च निकाल सकूं."
कोंकण हापुस अंबा उत्पादक सहकारी संस्था के अध्यक्ष विवेक भिड़े के अनुसार, इस साल सामान्य अल्फांसो आम की उपज का केवल 30 परसेंट ही उपभोक्ताओं तक पहुंच पाएगा. वह इस गिरावट का कारण सर्दियों की कमी को मानते हैं, जो आम के लिए एक महत्वपूर्ण मौसम है. आम तौर पर, आम के पेड़ सर्दियों के दौरान फूलते हैं, उसके बाद 60 दिनों के भीतर फल बनते हैं. हालांकि, गर्म सर्दियों और समय से पहले ही अधिक गर्मी ने फल बनने की प्रक्रिया को प्रभावित किया है.
आम तौर पर, आम के पेड़ साल में दो से तीन बार फूलते हैं, जो खादों और फल बढ़ाने वाले दवाओं के उपयोग पर निर्भर करता है, जिससे मई तक फल बनना बनता है. हालांकि, जनवरी से, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी और रायगढ़ जिलों सहित कोंकण क्षेत्र में कई बार गर्मी की लहरें आई हैं, जिसमें तापमान 39 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने मार्च की शुरुआत से ही इस क्षेत्र के लिए कई बार गर्मी की चेतावनी जारी की है.
ये भी पढ़ें: आम के बौर के लिए घातक हैं ये दो रोग, रखें कड़ी नजर वरना नहीं बन पाएंगे फल, एक्सपर्ट ने दी सलाह
किसानों का कहना है कि खराब मौसम की वजह से फलों के गिरने की दर बहुत ज्यादा है. भिड़े कहते हैं, "नवंबर-दिसंबर के बाद ज्यादातर बागों में फूल नहीं आए. मार्च से लगातार सप्लाई के लिए, फरवरी-मार्च में फूल आने चाहिए. इस साल, मुझे ऐसा होता नहीं दिख रहा है."
मुंबई के थोक बाजारों में व्यापारी सामान्य से कम सप्लाई की बात बताते हैं. आम के व्यापारी संजय पानसरे ने कहा कि आम का मौसम आमतौर पर जनवरी में शुरू होता है और 15 मार्च के बाद चरम पर होता है, लेकिन इस साल आम की आवक में काफी देरी हुई है. उन्होंने कहा, "सीजन 4 अप्रैल के आसपास शुरू होने और मई के मध्य तक समाप्त होने की उम्मीद है. पूरा उत्पादन इस छोटी अवधि तक कम हो सकता है."
ये भी पढ़ें: ग्रीस या डीजल से करें मिलीबग कीट का सफाया, पेड़ों पर भर-भर के आएंगे आम
मौसम के अनियमित पैटर्न के कारण आम के किसान संकट में हैं, उन्हें घटती पैदावार और बाजार में कमाई घटने की आशंकाओं से जूझना पड़ रहा है. कोंकण से अल्फांसो आम का निर्यात बेशकीमती है, इसलिए सप्लाई में कमी से कीमतों में और बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, जिससे किसान और उपभोक्ता दोनों प्रभावित होंगे.