भारत सरकार ने गुरुवार को चावल के एक्सपोर्ट को लेकर सख्त फैसला लिया है. सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के चावल एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है. ये फैसला आने वाले त्योहारी सीजन के दौरान घरेलू डिमांड में बढ़ोतरी और खुदरा कीमतों पर नियंत्रण को ध्यान में रखकर लिया गया है. दरअसल खाद्य मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि बासमती चावल और सभी तरह के उसना चावल के निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं किया गया है. यानी केवल गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध लगाया गया है. हालांकि भारत से बड़े पैमाने पर बासमती चावल का निर्यात किया जाता है. वहीं विश्व चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत से अधिक है. आइए जानते हैं कि भारत ने चावल एक्सपोर्ट पर बैन क्यों लगाया है, इसके पीछे की इनसाइड स्टोरी क्या है.
सरकार ने गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाकर घरेलू बाजार में बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने का फैसला किया है. दरअसल पिछले कुछ दिनों में चावल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखी हुई है, इस महीने चावल के दाम में 10 से 20 फीसदी तक का उछाल देखा गया है. हालांकि कुछ शर्तों के साथ चावल के एक्सपोर्ट को अनुमति दी जाएगी. क्योंकि अगर नोटिफिकेशन से पहले जहाजों में चावल की लोडिंग शुरू हो गई है तो उसके एक्सपोर्ट की अनुमति होगी. इसके अलावा उन मामलों में भी चावल के निर्यात की अनुमति होगी, जहां सरकार ने दूसरे देशों को इसकी इजाजत दे रखी है. सरकार ने इन देशों के फूड सिक्योरिटी की जरूरतों को देखते हुए इस तरह की अनुमति दी है.
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देश से एक्सपोर्ट होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है. वहीं भारत से गैर-बासमती सफेद चावल का कुल निर्यात 2022-23 में 4.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर था, जबकि पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 में यह 2.62 मिलियन अमेरिकी डॉलर था. भारत सबसे ज्यादा गैर-बासमती सफेद चावल थाईलैंड, वियतनाम, स्पेन, श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका को निर्यात करता है. वहीं चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में लगभग 15.54 लाख टन सफेद चावल का निर्यात किया गया है, जो कि एक साल पहले की अवधि में केवल 11.55 लाख टन ही था, यानी चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
जहां मॉनसून की बारिश से देश का कुछ हिस्सा बाढ़ की वजह से डूब रहा है. वहीं कुछ राज्य ऐसे भी हैं, जहां औसत से कम बारिश हो रही है. खासकर उन राज्यों में कम बारिश हो रही है, जहां धान का सबसे ज्यादा पैदावार होता है. जिसमें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ और कर्नाटक जैसे राज्यों में धान की कम बुआई हो पाई है. जबकि पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ धान का बड़ा उत्पादक राज्य है. वहीं आपको बता दें कि भारत दुनिया में चावल का दूसरा सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है.