केंद्र सरकार देश में दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. वह मसूर और अन्य दालों के उत्पादन में विविधता लाने के लिए किसानों को दलहन की खेती करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके अलावा वह नेफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से 'भारत दाल' भी बेच रही है. इससे आम जनता को महंगाई से काफी राहत मिली है. वहीं, केंद्रीय खाद्य और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि 'भारत दाल' ने बाजार में अच्छी पकड़ बना ली है. क्योंकि इसने चार महीनों के अंदर ही 25 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी पर कब्जा कर लिया है.
बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, नेफेड के साथ ग्लोबल पल्स कन्फेडरेशन द्वारा आयोजित एक वैश्विक कार्यक्रम 'दलहन 24' में बोलते हुए गोयल ने कहा कि नेफेड और एनसीसीएफ हमारे किसानों को अन्य फसलों की तरह दालों की खेती में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. साथ ही वे उनसे दालें खरीदने के लिए इच्छुक भी हैं. उन्होंने कहा कि किसानों से दाल खरीदने को लकेर पांच साल के लिए अनुबंध किया जा रहा है. ताकि किसान दालों का उत्पादन बढ़ा सकें. उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को दालों के बदले काफी अच्छी कीमत मिलेगी.
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पीयूष गोयल ने कहा कि मेरा मानना है कि यह भारत में मसूर सहित अन्य दालों के उत्पादन और खपत को समर्थन और प्रोत्साहित करने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार का एक बड़ा कदम है. उन्होंने कहा कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर दालों की खरीद के माध्यम से किसानों का समर्थन करती है, जो एक स्वतंत्र निकाय सीएसीपी द्वारा निर्धारित किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि आज भारत में एमएसपी ऐसी कीमत पर सुनिश्चित किया जाता है जो उत्पादन की वास्तविक लागत (ए2+एफएल) से 50 प्रतिशत अधिक है, जिससे हमारे किसानों को उनकी कृषि गतिविधियों के लिए उचित और आकर्षक दर पर रिटर्न मिलता है. मसूर दाल में 117 प्रतिशत, मूंग में 90 प्रतिशत, चना दाल में 75 प्रतिशत और तुअर व उड़द में 60 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ एमएसपी आज पहले की तुलना में सबसे अधिक है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पिछले दस वर्षों में दालों का उत्पादन लगभग 60 प्रतिशत बढ़कर लगभग 27 मिलियन टन हो गया है. सरकार ने हाल ही में भारत ब्रांडेड गेहूं का आटा, चावल और दाल (प्रसंस्कृत दालें) लॉन्च किया है. चार महीने के बहुत ही कम समय में, भारत दाल ने भारत के चना दाल बाजार के 25 प्रतिशत हिस्से पर कब्जा कर लिया है. अधिकांश ई-कॉमर्स साइटों पर जहां यह उपलब्ध है, इसकी रैंकिंग दूसरों की तुलना में कहीं अधिक बेहतर है. गोयल ने कहा कि यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि हमारे किसान उच्च गुणवत्ता वाली दालों का उत्पादन करते हैं और वे दालें जब आम आदमी के लिए सरकार के समर्थन से सस्ती कीमतों पर उपलब्ध होती हैं तो वास्तव में आम आदमी का भोजन बन जाती हैं.
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उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में दालों की खरीद 18 गुना बढ़ गई है. 2015 में, बफर स्टॉक की शुरुआत के साथ यह सुनिश्चित किया गया कि सरकार के पास उपभोक्ताओं के लिए मध्यम कीमतों और मूल्य स्थिरता के लिए स्टॉक उपलब्ध रहेगा. इन प्रयासों से यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि जब विकसित दुनिया को महंगाई की महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ा तो भारत फूड इन्फ्लेशन पर लगाम लगाने में सक्षम था. गोयल ने कहा कि तब भारत में महंगाई दुनिया में सबसे कम थी.